नई दिल्ली. गेहूं, मक्का, बाजरा, सरसों या फिर दलहन के साथ आज किसान पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार ने भी किसानों की आय को बढ़ाने के वादे किए थे, जिसमें फसल के साथ-साथ कई और तरीके जैसे पशुपालन, मछली पालन मुर्गी पालन, डेयरी आदि करने की उन्हें सुझाव दिए गए थे. अब डेयरी से जुड़कर ज्यादातर किसान दूध का उत्पादन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने आंबेडकर जयंती से पशुपालकों को और मजबूत बनाने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना’ की शुरुआत की. इस योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की इकाइयों की स्थापना की जाएगी. एक इकाई की लागत अधिकतम 42 लाख रुपये होगी. किसान इस योजना में 25 गाय या भैंस पाल सकता है.
दूध, दुग्ध उत्पादों की मांग देश में बढ़ती जा रही है. डेयरी प्रोडक्ट्स की आपूर्ति करने के लिए मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री उद्यमिता विकास कार्यक्रम की स्थापना होनी है. डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की सौगात दी है. जिसमें एक इकाई में सारे गौवंश या सारे भैंस होंगे. एक इकाई की सारी गाय-भैंस एक ही प्रजाति की होंगी. क्या करना होगा आपको इसकी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल के जरिए दे रहे हैं.
मध्य प्रदेश का नागरिक होना जरूरी: डॉ. भीमराव आंबेडकर कामधेनु योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक का मध्य प्रदेश का निवासी होना जरूरी है. वहीं डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग जरूरी है. ये योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए है. पशुपालक की उम्र 21 साल से ऊपर होनी चाहिए. उन्हें अनुभव के लिए सरकारी या सरकार नामित संस्था से डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण भी लेना जरूरी है. इस ट्रेनिंग के लिए सरकार अलग से निर्देश जारी करेगी. इस स्कीम के हितग्राहियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. लाभार्थी के पास हर इकाई के लिए कम के सम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होनी चाहिए. इस जमीन में परिवार की सामूहिक जमीन का भी उपयोग किया जा सकता है. लेकिन, इसके लिए अन्य सदस्यों की सहमति आवश्यक होगी.
इन्हें दी जाएगी प्राथमिकता: दुग्ध संघों में पहले से दूध सप्लाई कर रहे पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाएगी. एक लाभार्थी को एक या एक से अधिक (अधिकतम आठ इकाइयों, 200 दुधारू पशु) लेने की पात्रता होगी. एक से अधिक इकाईयां लेने की स्थिति में उन्नत गाय/संकर गाय या भैंस की इकाई अपनी सुविधा अनुसार चयन कर सकेगा. लाभार्थी को डेयरी इकाई को सतत रूप से अधिकतम सात वर्षों तक या ऋण की समाप्ति तक संचालित करना होगा. लाभार्थियों का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के जरिए किया जाएगा. दूसरा लोन केवल पिछले ऋण चक्र के संतोषजनक पुनर्भुगतान पर ही होगा. लोन चार चरणों में वितरित किया जाएगा. पूंजी सब्सिडी और ब्याज अनुदान, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लाभार्थी के लिए परियोजना लागत का 33 प्रतिशत और अन्य समस्त वर्गों के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी होगी.