Fish Farming Business : बत्तख और मछली पालें एक साथ, जानें कैसे होता है मुनाफा

आजकल फसलों के साथ ही किसान मुर्गी पालन, मछली पालन को भी कर रहे हैं. अगर तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, तो इसके साथ बत्तख भी पाल सकते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. देश में आज किसान मछलीपालन के साथ बत्तख पालन करके अपनी इनकम को डबल कर रहे हैं. इस विधि में न तो तालाब में कोई खाद उर्वरक डालने की जरूरत होती है और न ही मछलियों को पूरक आहार देने की आवश्यकता होती है. जबकि मछली पालन पर लगने वाली लागत आधी रह जाती है. वहीं मछलियां और बत्तखें दोनों एक दूसरे की अनुपूरक होती हैं. बतखें पोखर के कीड़े-मकोड़े, मेढ़क के बच्चे, घोंघे, जलीय वनस्पति आदि खाती हैं. तो मछलियां इनकी बीट से कैल्सियम और अन्य जरूरी प्रोटीन की कमी को पूरा कर लेती हैं. बत्तखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा और स्वस्थ परिवेश, उत्तम प्राकृतिक भोजन उपलब्ध हो जाता है तो बतख के पानी में तैरने से पानी में आक्सीजन की घुलनशीलता बढ़ती है जो मछली के लिए जरूरी है. इसलिए अगर मछली पालन के साथ बत्तख पालन किया जाए तो फिर मुनाफा ही मुनाफा होगा.

आजकल फसलों के साथ ही किसान मुर्गी पालन, मछली पालन को भी कर रहे हैं. अगर तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, तो इसके साथ बत्तख भी पाल सकते हैं. इससे मछलियों के साथ ही बत्तख को बेचकर भी कमाई की जा सकती है. आइए इस आर्टिकल में हम आपको मछली के साथ बत्तख पालन के कुछ फायदों के बारे में बताते हैं, जो इस कारोबार को खूब फायदेमंद बना रहा है.

क्या हैं मछली पालन के साथ बत्तख पालने के फायदेः

इन बातों का रखें ध्यानः कुछ सावधानियों बरतने की जरूरत है. हर महीने बत्तखों का स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण करना चाहिए. बत्तख की आवाज में परिवर्तन, सुस्त चाल, कम मात्रा में भोजन ग्रहण करना, नाक और आंख से लगातार पानी का बहना आदि लक्षण पाए जाने पर बीमार बत्तख को पोखर में नहीं जाने देना चाहिए. फौरन वेटरनरी डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए.

उत्पादन का क्या है हिसाबः मछली संग बत्तख पालन से प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष 2500 किलो मछली का उत्पादन शामिल है. वहीं 14 हजार से 15 हजार अंडे और 500-600 किलोग्राम बतख का मांस उपलब्ध होगा. इस प्रकार मछली के साथ-साथ बत्तख पालन करने से मत्स्य कृषकों को अतिरिक्त इनकम मिल जाएगी.

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