नई दिल्ली. भारत सरकार मछली मछली पान को बढ़ावा देने का काम कर रही है. साल 2020 से इसको लेकर कई काम किए जा रहे हैं. यही वजह है कि देश में मछली पालन बढ़ा है और उत्पादन भी. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की वजह से इस भारत ने साल 2024-25 में 195 लाख टन मछली उत्पादन करके इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनने का तमगा हासिल कर लिया है. वहीं सरकारी आंकड़े कहते हैं कि फरवरी, 2025 तक मत्स्यपालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई है.
दिसंबर, 2024 तक 55 लाख के लक्ष्य को पार करते हुए रोजगार के 58 लाख अवसर सृजित किए गए वहीं 2020-21 से 2024-25 तक स्वीकृत 4,061.96 करोड़ रुपये के माध्यम से 99,018 महिलाओं का सशक्तीकरण भी हुआ है. इसी एक उदाहरण उत्तराखंड के कपिल तलवार हैं. जिन्होंने मछली पालन में नन सिर्फ सफलता हासिल की बल्कि दूसरों को रोजगार भी दिया है.
यहां पढ़ें सफलता की कहानी
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के कपिल तलवार की है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपने करियर में आए झटके को सफलता में बदल दिया.
खटीमा ब्लॉक के मूल निवासी तलवार ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत जिले की सबसे बड़ी बायोफ्लॉक मछली पालन इकाई की स्थापना की.
इस योजना से मिली 40 प्रतिशत सब्सिडी और उत्तराखंड के मत्स्य पालन विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन हासिल करके उन्होंने पंगेसियस और सिंघी के 50 टैंक बनवाए.
एक अस्पताल टैंक के साथ पूरी हुई उनकी नर्सरी ने 50,000 पंगेसियस का उत्पादन किया. उन्होंने उत्तरी भारत में सजावटी मछलियों के पालन की भी शुरूआत की है।.
बायोफ्लॉक इकाई की स्थापना से न केवल तलवार को फिर से आजीविका मिली बल्कि इस पहल का यह परिणाम हुआ दूसरों को उन्होंने रोजगार भी दिया.
उन्होंने अपने इस काम से क्षेत्र के सात लोगों (पांच पुरुष और दो महिलाओं) को भी अच्छी आजीविका के लिए सक्षम बनाया.
मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से वह लंबे समय तक मत्स्य पालन के लिए ग्रामीण महिलाओं का मार्गदर्शन भी करते हैं.
निष्कर्ष
यह कहानी जमीनी स्तर पर जीवन में बदलाव की पीएमएमएसवाई की क्षमता का शानदार प्रदर्शन है. अगर आप भी योजना की मदद से इस काम को करते हैं तो फिर आपको सफलता मिल सकती है.