नई दिल्ली. मछली पालन के लिए बनाए जाने वाला तालाब आमतौर पर आयताकार होता है. ये तालाब ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. इसकी लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 2:1 अथवा 3:1 होना ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. उपलब्ध जमीन का 70 से 75 प्रतिशत भाग ही तालाब के निर्माण के लिए यानि जलक्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है, बाकी 25-30 परसेंट तालाब के बांध में चला जाता है. यानि एक एकड़ के तालाब के निर्माण के लिए लगभग 1.35 से 1.40 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है.
तालाब की लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा में रखा जाना बेहतर है. इस प्रकार के तालाब में हवा के बहाव के कारण पानी में अधिक हलचल होती है, नतीजे में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है. तालाब की औसत गहराई उतनी होनी चाहिए जहां सूरज की पर्याप्त रोशनी पहुंच सके. जहां पानी का साधन है वहां तालाब की गहराई 4 से 6 फीट रखी जा सकती है. यदि तालाब बारिश के पानी पर आधारित हो वहाँ तालाब की औसत गहराई 8 से 10 फीट तक रखी जा सकती है.
तालाब की संरचना कैसी हो
तालाब के जलक्षेत्र की मापी के बाद चारों तरफ 5 से 7 फीट जमीन वर्म (Berm) के रूप में छोड़कर बांध बनाया जाए. जिससे बांध की मिट्टी को क्षरण होकर तालाब में जाने से रोका जा सके.
तालाब की खड़ी खुदाई नहीं करनी चाहिए. तालाब का किनारा ढलाव वाला होना चाहिए. तालाब का ढलाव (Slope) 1:1.5 या 1:2 (ऊंचाई आधार) अनुपात में स्था जाना चाहिये.
तालाब का बांध निर्माण
पेड़ पौधों को जड सहित हटा देना चाहिए. तालाब निर्माण शुरू करने के पहले जमीन की उस जगह जहां मिट्टी की खुदाई होती है, बर्म (Berm) का स्थान एवं बांध का निर्माण स्थल को चिन्हित कर लेना आवश्यक है.
बांध तैयार करने के लिए चिन्हित स्थल से घास, जंगली पौधों को हटा कर ट्रैक्टर या हल से जुताई करने के बाद ही वहां पर मिट्टी डालने का काम किया जाए, इससे बांध मजबूत बनेगा और उससे पानी के रिसाय की संभावना नहीं रहेगी.
जिस तरफ पानी का निकास हो उधर का बांध ज्यादा चौड़ा एवं मजबूत बनाना चाहिए. बाँध पर तह-दर-तह मिट्टी डालनी चाहिये तथा उसे दबाते रहना चाहिये.
शिखर की चौड़ाई के अनुरूप बांध के दोनों ओर ढलान रखना जरूरी है. यदि बांध की ऊंचाई 4-5 फीट हो, तो शुरुआत की चौड़ाई भी कम से कम 4-5 फीट रखनी चाहिये.
अन्दर की ढलान 1:1.5 रखना चाहिये. यदि बांध पर वाहन चलना हो तो शुरुआत की चौड़ाई 8 से 10 फीट स्खी जा सकती है.