Fish Farming: किसे मिलता है निषादराज बोट सब्सिडी योजना का फायदा और किसे दी जाती है वरीयता

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मछली पकड़ने की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन के जरिए भी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2023 में मछुआरों के लिए निषादराज बोट सब्सिडी योजना की शुरुआत की थी. इस योजना से प्रदेश में मत्स्य पालन एवं फिशिंग पर निर्भर गरीब मत्स्य पालकों व मछुआरों को जलक्षेत्रों में शिकारमाही तथा मत्स्य प्रबन्धन के लिए आर्थिक रूप से मजबूत व स्वावलम्बी बनाये जाने की गरज से मदद मिलती है. वहीं योजना का फायदा ये भी है कि संबंधित जलक्षेत्रों में अवैध फशिंग की रोकथाम व उसको नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है. बता दें कि मछली पालन एवं फिशिंग में नाव एवं पर्यटन स्थलों में नाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

इसके चलते गरीब मछुआरों को अनुदानित बोट मिलने से उनको अपनी आजीविका चलाने में सहायता प्राप्त होती है. अब सवाल ये है कि इस योजना का फायदा कैसे मिलेगा. आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि योजना का फायदा कैसे उठाया जा सकता है और कौन इसके दायरे में आएगा.

फायदा पाने वालों का चयन कैसे होगा
-कोई को भी आवेदन विभागीय पोर्टल पर आनलाइन या फिर मत्स्य विभाग के जनपदीय कार्यालय में आफलाइन कर सकता है. आफलाइन आवेदनों को पोर्टल पर आनलाइन अपलोड करने की जिम्मेदारी विभाग की है.

-मत्स्य पालन करने वाले 0.4 हेक्टयर या उससे अधिक क्षेत्रफल के तालाब के प‌ट्टाधारक, निजी तालाबों के मालिक और मत्स्य आखेट के साथ नौकायन में लगे हुये मछुआ समुदाय के व्यक्ति इसके पात्र होंगे.

-ऐसे अभ्यर्थी, जिनके पास पूर्व से नाव न हो, आवेदन के लिए पात्र होंगे. किसी अन्य योजना के तहत नाव पाने वालों को इसका फायदा नहीं मिलेगा.

-लाभार्थियों के पारदर्शी चयन हेतु योजना का समुचित प्रचार-प्रसार करते हुए आवेदन पत्र आमंत्रित किये जायेंगे. चयनित लाभार्थियों की सूची मत्स्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश की विभागीय वेबसाइट पर अपलोड होगी.

-लाभार्थी चयन में राजस्व संहिता 2016 में उल्लिखित केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, धीमर, कश्यप, बाथम, रैकवार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरैहा अथवा तुराहा समुदाय से सम्बंधित ऐसा व्यक्ति जो परम्परागत रूप से मत्स्य पालन व्यवसाय में लगा हो, को प्राथमिकता दी जायेगी. राजस्व संहिता 2016 में उल्लिखित उक्त 12 मछुआ समुदाय के ऐसे व्यक्ति जो अन्तोदय राशनकार्ड धारक हैं, को प्रथम वरीयता दी जायेगी.

-राजस्व संहिता 2016 में उल्लिखित उक्त 12 मछुआ समुदाय के पक्का आवास विहीन को द्वितीय वरीयता दी जायेगी. राजस्व संहिता 2016 में उक्त 12 मछुआ समुदाय के अन्य व्यक्ति को तृतीय वरीयता दी जायेगी. राजस्व संहिता 2016 में उल्लिखित अन्य परम्परागत रूप से मत्स्य पालन व्यवसाय में लगे हुए व्यक्ति को चतुर्थ वरीयता दी जायेगी.

-उपलब्ध बजट की सीमा के अधीन जनपदवार लाभार्थी संख्या का निर्धारण निदेशक मत्स्य द्वारा औचित्यपूर्ण रीति से किया जायेगा. निर्धारण करते समय जिला स्तरीय समिति (डी०एल०सी०) द्वारा चयनित अभयर्थियों की संख्या, मछुआ समुदाय के अभ्यर्थियों की संख्या, मछुआ समुदाय के अन्त्योदय कार्ड धारकों की संख्या, पक्का आवास विहीन व्यक्तियों की संख्या एवं जनपद में मत्स्य पालन की स्थिति एवं संभावनाओं को ध्यान में रखा जायेगा.

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