नई दिल्ली. बकरों का मीट सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले मीट में से एक है. भारत में इस मीट को लेकर लोगों की पसंद अलग ही लेवल पर है. यही वजह है कि आम दिनों में 700 से 800 रुपए किलो आसानी से इसका दाम मिल जाता है. जबकि मुस्लिमों के त्योहार बकरीद के मौके पर तो बकरों की खासी डिमांड रहती है और इस दौरान अगर रेट का आंकलन किया जाए तो मीट 1000 रुपए से ज्यादा महंगा पड़ता है. हालांकि मुस्लिम बकरीद पर बकरे खरीदते हैं और फिर कुर्बानी पेश करते हैं.
आप भी चाहें तो मीट के लिए बकरों को पाल सकते हैं. इससे आपको अच्छा मुनाफा होगा. रतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट की मानें तो कई नस्लों के बकरे मीट के लिए पाले जा सकते हैं. इस आर्टिकल में लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) आपको कुछ के बारे में जानकारी दे रहा है.
कितना होता है गोहिलवाड़ी नस्ल के बकरे का वजन
गोहिलवाड़ी नस्ल के बकरे खासतौर पर गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर में खूब मिलते हैं.
हालांकि इनकी संख्या कम है और यही वजह है कि नस्ली बकरे और बकरियां मुश्किल से मिलते हैं.
इस नस्ल के बकरे का वजन 50 से 55 किलो और बकरी का 40 से 45 किलो तक होता है. इनका रंग काला होता है और सींग मुड़े हुए मोटे होते हैं.
जखराना बकरा की क्या है खासियत
राजस्थान राज्य के अलवर के जखराना गांव के नाम से जखराना नस्ल के बकरे-बकरी की पहचान है. इसकी खासियत ये है कि दूध और मीट दोनों के लिए पाला जा सकता है.
इस नस्ल के बकरे ही नहीं बल्कि बकरियां भी ऊंची और लम्बी-चौड़ी नजर आती हैं.
जखराना के बकरे 55 से लेकर 58 किलो वजन तक के तो पाए जाते ही हैं, लेकिन कभी-कभी 60 किलो और उससे ज्यादा वजन तक के भी मिल जाते हैं.
निष्कर्ष
एक्सपर्ट के मुताबिक अगर इन दोनों नस्ल के बकरों को पाला जाए तो मीट के तौर पर अच्छी कीमत मिल सकती है. दोनों नस्लें शानदार हैं.