Animal Husbandry: प्रेग्नेंट बकरी को क्या खिलाना चाहिए, देखभाल से जुड़ी हर एक बात पढ़ें यहां

goat farming

चारा खाती बकरियां.

नई दिल्ली. जब कोई भी पशु गर्भ से होता है तो उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ती है. अगर सही से देखभाल न की जाए तो फिर पैदा होने वाला बच्चा कमजोर भी पैदा हो सकता है और ​इससे पशुपालन के काम में नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट का कहना है कि पशुपालन में पशुओं के बच्चे कर हैल्दी हों और आगे चलकर बेहतर उत्पादन करें तो मुनाफा ज्यादा मिलता है लेकिन अगर बच्चा कमजोर है और उसकी किसी वजह से मौत हो जाए तो फिर सीधे तौर पर नुकसान होता है.

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) Livestock Animal News) को जानकारी देते हुए कहा कि गर्भावस्था में तमाम जानवरों की तरह ही बकरियों की भी उचित देखभाल करने की जरूरत है.

किन बातों का दें ध्यान
ब्याने से एक हफ्ता पहले गर्भित बकरियों को हल्का, सुपाच्य दाना-चारा दिया जाना चाहिए.

इन बकरियों को ब्याने के अनुमानित समय से 7-8 दिन पहले बाड़ों के आसपास ही चराया जाना चाहिए.

या फिर बाड़ों में ही रखा जाना चाहिए. ब्याने के 15 दिन पूर्व निम्न तैयारियां कर लेनी चाहिए.

ब्याने के लिये प्रयुक्त होने वाले प्रत्येक बाड़े को अच्छी तरह से साफ करके सुखा लेना चाहिए.

एक हफ्ते उपरान्त चूना डालकर उसमें सूखी घास का बिछौना देना चाहिए.

इन्हीं बाड़ों को प्रत्येक ब्याने वाली बकरी के लिये उपयोग में लाया जाना चाहिए.

जैसे-जैसे बकरी के प्रसव का समय नजदीक आता है उनमें कुछ बदलाव नजर आने लग जाते हैं. जैसे बकरी बेचैन होने लगती है.

बकरी के अयन (अडर) का आकार बढ़ जाता है. थनों में चमक एवं फूलापन दिखाई देता है.

हली बार ब्याने वाली अधिकांश बकरियों के थनों में दूध भी उतर आता है.

बकरी की योनि मार्ग से लसलसा, पीला एवं गाढ़ा स्राव ब्याने से कुछ दिन पूर्व निकलना आरम्भ हो जाता है.

बकरी झुंड से अलग अकेले में रहना पसंद करती है. ब्याने से कुछ घण्टे पूर्व बकरी बार-बार उठती-बैठती है और अनमनी रहती है.

जैसे-जैसे ब्याने का समय नजदीक आता है प्रसव दर्द शुरू हो जाता है.

निष्कर्ष
एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी को संतुलित आहार जरूर देना चाहिए. अगर ऐसा करते हैं तो ये आगे आने वाले बच्चे का भविष्य ठीक रहेगा.

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