नई दिल्ली. बकरियों को सूखे चारे की जरूरत उनके शारीरिक भार के 3-4 प्रतिशत के बराबर होती है. दूध देने वाली बकरियां एवं छोटे बच्चे अपने शारीरिक भार के लगभग 5 प्रतिशत के बराबर सूखा चारा खा लेते हैं. सूखे चारे की जरूरत को आधार बनाकर बकरियों के लिये आवश्यक दाने एवं चारे की मात्रा की गणना कर सकते हैं. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के मुताबिक ऐसी बकरियां जो दूध उत्पादन नहीं कर रही हैं उन्हें हर दिन 500 ग्राम दहलनी या 1.0 किलोग्राम अदलहनी हरा चारा, 500-600 ग्राम दलहनी भूसा तथा लगभग 100 ग्राम दाना मिश्रण की आवश्यकता होती है.
वहीं दूध देने वाली बकरियों को दलहनी हरा चारा कम से कम एक किलोग्राम प्रति बकरी प्रति दिन के हिसाब से अवश्य दें.
कब क्या खिलाएं
यदि हरा दलहनी चारा उपलब्ध नहीं है तो उस दशा में बकरियों को दलहनी चारे से बनी हुई ‘हे’ खिलाकर उनकी पोषण की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
इसके अतिरिक्त प्रति किलो दूध उत्पादन के लिये 200-250 ग्राम दाना प्रति बकरी प्रति दिन देना चाहिए.
गर्मित बकरिया गर्भित बकरियों को ब्याने से लगभग 45 दिन शेष रहने के समय से प्रतिदिन 300-400 ग्राम अतिरिक्त दाने की आवश्यकता होती है.
इससे बकरी से पैदा होने वाले बच्चे का जन्म के समय सामान्य वजन होगा, बकरी से दूध उत्पादन उपयुक्त मात्रा में होगा तथा दूध देते समय बकरी का स्वास्थ्य एवं वजन ठीक रहेगा.
गर्भित बकरियों के पोषण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि बकरी के ब्याने के 40-45 दिन पूर्व से गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण रूमन पर दबाव पड़ता है जिससे बकरी के आहार ग्रहण करने की क्षमता सामान्य से कम हो जाती है.
इस समय दिये जाने वाले चारे एवं दाने की गुणवत्ता उच्च कोटि की होनी चाहिए जिससे कि सामान्य से कम आहार ग्रहण करने के बावजूद भी बकरी की पोषण आवश्यकतायें पूरी हो सकें.
प्रजनक बकरों का पोषण प्रजनन के लिये प्रयोग में लाये जाने की स्थिति में सामान्य पोषण (हरा चारा, दलहनी भूसा एवं 200-250 ग्राम दाना मिश्रण) के अतिरिक्त 400-500 ग्राम दाना मिश्रण प्रति बकरा प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाना चाहिए. वर्ष के शेष समय सामान्य पोषण ही पर्याप्त होता है.