Green Fodder: गर्मियों में सूखे चारे के साथ खिलाएं ये हरा चारा, बढ़ जाएगा पशुओं में दूध उत्पादन

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गर्मी में हरे चारे की कमी हो जाती है. जिसके चलते पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पाता है. खासतौर पर राजस्थान जैसे इलाकों में तो ये परेशानी ज्यादा होती है. क्योंकि यहां पर कृषि के मुकाबले पशुपालन ज्यादा होता है और गर्मियों में पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिल पाता है. आमतौर पर कम बारिश की वजह से भी ऐसा होता है. जबकि पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि सूखे चारे में हरा चारा मिलाकर ही पशुओं को खिलाना चाहिए. इस तरह खिलाने से जानवर सूखे चारे को भी आराम से खा लेते हैं. इस तरह से सूखे चारे का अच्छा उपयोग भी हो जाता है.

जबकि हरा चारा खिलाने से पशुओं को संतुलित पोषण मिलता है और कई बीमारियों से पशुओं का बचाव हो जाता है. रिसर्च के आधार पर यह पाया गया है कि दुधारू गाय और भैंस को अन्य पशु आहार के साथ 10 कि.ग्रा. हरे चारे की हर दिन जरूरत होती है. दूध देने वाली बकरी को 2 किलोग्राम हरा चारा अन्य चारे के साथ खिलाना चाहिए. जबकि ऊंट को भी 10 किलो ग्राम हरे चारे की प्रति दिन आवश्यकता होती है.

चारे को स्टोर करना भी है जरूरीः एक्सपर्ट कहते हैं कि उचित चारा प्रबंधन के लिए किसान को अपने सभी चारे के सोर्स को अपने खेत पर लगा कर उससे अधिक से अधिक चारा प्राप्त करके अपनी आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही अधिक मात्रा में प्राप्त चारे का भंडारण उचित प्रकार से करना चाहिए. चारे के विभिन्न स्त्रोत हैं, फसलें, घास (एक वर्षीय व बहुवर्षीय), झाड़ियां, पेड़ आदि. सूखा चारा मुख्यतया किसान दाने वाली फसलों से दाना निकालने के बाद शेष बचे भूसे से प्राप्त करते हैं. हरा चारा उत्पादन करने के लिए वर्ष भर हरा चारा उत्पादन देने वाली फसलों को फसल चक्र में शामिल करना जरूरी होता है.

राजस्थान में हरे चारे के लिए ये फसलें बोएंः राजस्थान में हरे चारे के लिए मुख्यतया उगाई जाने वाली फसलें हैं बाजरा, ज्वार, मक्का, चंवला, ग्वार, जई, रिजका, बरसीम, जौ आदि. हरे चारे के लिए इन फसलों को उगा कर फूल आने के बाद, पकने से पहले, काट कर हरेपन की स्थिति में पशुओं को कुट्टी काट कर या सीधे ही खिलाया जाता है. वर्ष भर हरा चारा उत्पादन के लिए इन फसलों की बुवाई का समय खरीफ ऋतु में जुलाई-अगस्त, रबी में अक्टूबर-नवम्बर व गर्मियों में मार्च-अप्रैल होता है. हरे चारे में ज्वार, बाजरा व मक्का के हरे चारे के साथ दलहनी फसलें जैसे चंवला या ग्वार का हरा चारा भी मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिए. इससे पशुओं को संतुलित पोषण मिलता है.

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