Goat Farming: कैसे बकरी पालन से हो सकती है मोटी कमाई, एक्सपर्ट ने ट्रेनिंग प्रोग्राम में समझाया

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्री बिजनेस परियोजना के तहत पशुधन उत्पादन और प्रबन्धन अनुभाग के सहयोग से पांच दिवसीय ”बकरी पालन“ द्वारा उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जहां एक्सपर्ट ने बकरी पालन से होने वाले फायदों के बारे में बताया. एक्सपर्ट ने बताया कि कैसे बकरी पालन करके मोटी कमाई की जा सकती है. बताते चलें कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में देश के तीन राज्यों उत्तराखण्ड, झारखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के कुल 17 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था.

इस दौरान संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में यह देश का अग्रणी संस्थान है. उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि मौजूदा समय में बकरी पालन में अपार संभावनायें हैं क्योंकि बकरी पालन आज सभी वर्गों द्वारा किया जा रहा है तथा प्रचलित होने की वजह से इसके मांस की बहुत मांग है इसका दूध सुपाच्य होने के कारण जल्दी पच जाता है. बकरी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के गोट बैंक मॉडल का भी उल्लेख किया जिसके तहत सीमांत किसानो को बीस प्रेग्नेंट बकरी वितरित की जाती है और बदले मे एक निश्चित अवधि मे कुछ बच्चे वापस करने होते हैं.

बकरी के बारे में शेयर की जानकारी
इस अवसर पर उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न आईसीटी टूल्स के बारे में भी प्रतिभागियों को जानकारी दी. पशुधन प्रोडक्शन और मैनेजमेंट ​डिपार्टमेंट के प्रभारी डॉ. मुकेश सिंह ने रूहेलखण्डी बकरी के बारे में तमाम जानकारी साझा की. उन्होंने पशुधन प्रबंधन अनुभाग के विभिन्न पशु फार्म की जानकारी दी. एबीआई परियोजना के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर डा. बबलू कुमार ने बताया कि बकरी पालन से उद्यमिता विकास का यह दूसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम है. इस ट्रेनिंग कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बकरी पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास, कौशल विकास तथा साक्षर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

778 लोगों को दी गई ट्रेनिंग
उन्होंने कहा कि अगर हम वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करें तो यह व्यवसाय ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. उन्होंने बताया कि एबीआई केन्द्र द्वारा अब तक करीब 35 उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं. जिसमें 778 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है. इसमें से कई लोग तो प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाकर अपने व्यवसाय कर चुके हैं. इसके अलावा भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पोषित नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के बारे में भी प्रतिभागियों को जानकारी साझा की गई.

बकरी पालन से किसानों की बढ़ेगी इनकम
कार्यक्रम संयोजक तथा संस्थान के बकरी फार्म के प्रभारी डा. हरि ओम पांडेय ने प्रतिभागियों को ट्रेनिंग की रूप रेखा तथा बकरी पालन को कम निवेश में ज्यादा लाभ प्राप्त करने के बारे में बताया. बकरी पालन सीमांत, छोटे किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों के आय इजाफा का श्रोत है. उन्होंने बकरी के दूध की बढ़ती मांग के कारण इसमें उद्यमिता के अवसर के बारे में बताया तथा यह भी कहा कि बकरी में कठिन से कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में पलने की क्षमता होती है. बकरी को मांस, दुग्ध, रेशा, खाल एवं खाद इत्यादि के लिए पाला जाता है. कार्यक्रम का संचालन एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान द्वारा किया गया. इस अवसर पर प्रतिभागियों सहित एबीआई केन्द्र के कर्मचारी गण उपस्थित रहे.

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