Animal Husbandry: राज्यों को चारा टास्क फोर्स बनाने का निर्देश, IVF लैब्स की भी करनी होगी स्थापना

animal husbandry and dairy sector

बैठक में मौजूद अधिकारी

नई दिल्ली. एएचडी की सचिव अलका उपाध्याय ने नई दिल्ली में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक राज्यों को जल्द से जल्द चारा टास्क फोर्स बनाने का निर्देश जारी किया है. बैठक में में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों, असम, अरुणाचल के पशुपालन और डेयरी विभाग के संबंधित निदेशक भी शामिल थे. वहीं इस दौरान मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में विभाग के कार्यक्रमों योजनाओं के बारे में गहन चर्चा हुई और उसकी प्रगति पर भी विचार-विमर्श किया गया. इस दौरान भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, मुख्य लेखा नियंत्रक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

पशुपालन और डेयरी योजनाओं की समीक्षा की
बैठक में अलका उपाध्याय ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन आरजीएम, राष्ट्रीय पशुधन मिशन एनएलएम, के तहत उद्यमिता विकास, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम एनएडीसीपी, डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचे के विकास जैसी सभी पशुपालन और डेयरी योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की. बताया कि फंड डीआईडीएफ राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम एनपीडीडी, केंद्र सरकार द्वारा उत्तर पूर्व राज्यों में इंप्लीमेंट किया जा रहा है. उन्होंने योजनाओं के तहत उत्तर पूर्व राज्यों के पास पड़ी अव्ययित शेष राशि के उपयोग और निपटान की आवश्यकता पर जोर दिया और राज्यों को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजनाओं और मांगों को तुरंत अंतिम रूप देने और केंद्र सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

फीडबैक देने का दिया निर्देश
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्यों को चारा टास्क फोर्स के निर्माण, पशुधन बीमा, आईवीएफ लैब्स की स्थापना करनी चाहिए, बल्कि इसको प्राथमिकता देनी चाहिए और राज्य एएचडी को राज्यों के भीतर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा. इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एनएडीसीपी योजना के संबंध में राज्यों को फीडबैक देने का निर्देश दिया. उन्होंने डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण के रूप में डेयरी सहकारी समितियों के साथ.साथ दूध उत्पादक कंपनियों की स्थापना पर जोर दिया.

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