Vulture: पिंजरे से आजाद होकर 6 गिद्धों ने खुले आसामन में ली सांस, उड़ान से पूरा होगा ये खास मकसद

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गिद्धों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के भोपाल के केरवा गिद्ध प्रजनन केंद्र से 6 गिद्धों को खुली हवा में सांस लेने के लिए छोड़ दिया गया है. अब ये गिद्ध आजाद हैं और कहीं भी आसानी से आ जा सकेंगे. उन्हें पिंजरे से आजादी मिल गई है और आसामन में एक इलाके से दूसरे इलाकों में जाने की आजादी. केरवा गिद्ध प्रजनन केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में जैव विविधता और इकोलॉजी बैलेंस की दिशा में इस महत्वपूर्ण कदम को उठाया गया है. हालांकि इन गिद्धों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले जीपीएस ट्रैक्टर्स इंस्टॉल किए गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह कहां-कहां आवागमन कर रहे हैं उनका व्यवहार क्या है और इससे उनकी सुरक्षा की निगरानी भी की जा सकेगी.

जब गिद्धों को आसामन में छोड़ने के लिए पिंजरों का दरवाजा खोला गया है और जैसे ही गिद्ध पिंजरे से बाहर आए मानों उनकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा हो, कुछ ही लम्हों में वह आसमान पर उड़ने लगे. बता दें कि राज्य में गिद्ध संरक्षण और पयर्टन के क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत करते हुए इस पहल को किया गया है.

इस वजह से खुले में छोड़ा गया
गौरतलब है कि भोपाल स्थित केरवा गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना साल 2014 में की गई थी. लगभग साढ़े पांच एकड़ में फैले इस केंद्र में सफेद पीठ वाले (Gyps Bengalensis) और लंबी चोंच वाले (Gyps Indicus) गिद्धों को हिफाजत के साथ रखा गया है. अधिकारियों ने बताया कि इन्हीं गिद्धों में से 2017 में पहला सफेद पीठ वाला गिद्ध का चूजा अंडे से बाहर आया तो केंद्र को प्रजनन योजना में कायामबी मिली थी. अब जब वो हवा में उड़ने के लिए तैयार थे तो मध्य प्रदेश में जैव विविधता और ईकोलॉजी बैलेंस की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भोपाल के केरवा गिद्ध प्रजनन केंद्र से 6 गिद्धों को पहली बार उनके प्राकृतिक वातावरण में छोड़ने का फैसला लिया गया है और फिर उन्हें छोड़ दिया गया.

गिनरानी के लिए लगाया GPS ट्रैकर्स
एक्सपर्ट का कहना है कि गिद्धों की लगातार संख्या कमी हो रही है. वो संकट में हैं. इसलिए उनका संरक्षण करना न सिर्फ वन्यजीवों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद ही अहम है. हालांकि आजाद किए गए इन गिद्धों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले GPS ट्रैकर्स को लगा दिया गया है. ताकि पता लगाया जा सके कि गिद्धों की उड़ान कहां तक है. इससे आजाद रहने वाले गिद्धों के व्यवहार का भी पता लगाया जा सकता है. जबकि सुरक्षा की निरंतर निगरानी भी की जा सकेगी. वहीं लोगों से अपील भी की गई है कि गिद्धों के संरक्षण के लिए जरूरत पड़ने पर वन विभाग को सूचित करें. लोगों में जागरुकता के लिए पर्चे भी बांटे गए हैं.

तेजी से घटी संख्या, लेकिन अब बढ़ भी रही है
गौरतलब है कि गिद्धों की घटती संख्या को देखते हुए उनके संरक्षण की जरूत है. आंकड़े कहते हैं कि एक वक्त में भारत में गिद्धों की संख्या चार करोड़ से अधिक थी, लेकिन साल 2000 तक इनकी संख्या में लगभग 99 फीसदी की गिरावट आ गई. हालांकि कई एक्सपर्ट का मनना है कि डाइक्लोफेनेक नामक पशु चिकित्सा दवा भी इसके अहम कारणों में से एक है. हालांकि अब केंद्र सरकार ने इसपर बैन लगा दिया है. जिसकेे बाद अच्छा रिजल्ट भी दिखा. साल 2021 में मध्यप्रदेश में 9,446 गिद्ध, 2024 में 10,845 गिद्ध, और 2025 की पहली गणना में यह संख्या 12,000 से अधिक पहुँच चुकी है.

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