Animal Fodder: कई गुना ज्यादा मिठास वाला है ये चारा, पशुओं आएगा पसंद, जानें कितना मिलेगा उत्पादन

green fodder

ज्वार की सीएसवी 64 एफ किस्म विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज व अन्य.

नई दिल्ली. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि यूनिवर्सिटी के चारा अनुभाग ने ज्वार की उन्नत किस्म सीएसवी 64 एफ विकसित की है. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि चारा अनुभाग अब तक ज्वार की 13 किस्में विकसित कर चुका है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत किस्मों व तकनीकों के कारण प्रदेश का देश के खाद्यान व चारा उत्पादन में अहम योगदान है. कुलपति ने बताया कि हकृवि के चारा अनुभाग द्वारा विकसित ज्वार की सीएसवी 64 एफ एक कटाई वाली, पत्तेदार, मीठी व रसदार किस्म है जिसे पशु अधिक चाव से खाते हैं.

उल्लेखनीय है कि ज्वार पर बेहतरीन काम करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय श्रीअन्न अनुसंधान संस्थान से 2021-22 व 2022-23 में सर्वश्रेष्ठ ज्वार अनुसंधान केन्द्र का अवार्ड भी मिल चुका है.

इन राज्यों में उगाने के लिए है मुफीद
यूनिवर्सिटी के रिसर्च डायरेक्टर डॉ. राजबीर गर्ग के अनुसार ज्वार की सीएसवी 64 एफ किस्म को विकसित करने में इस विभाग के चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ. पम्मी कुमारी, डॉ. एस.के. पाहुजा, डॉ. जीएस दहिया एवं डॉ. डी.एस. फोगाट, डॉ. सतपाल, डॉ. नीरज खरोड़, डॉ. बजरंग लाल शर्मा एवं डॉ. मनजीत सिंह की टीम की मेहनत रंग लाई है. रिसर्च डायरेक्टर ने बताया कि ज्वार की इस किस्म को यूनिवर्सिटी के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है. एचएयू में विकसित ज्वार की इस किस्म को उत्तरी राज्यों मुख्यत: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड एवं गुजरात में उगाने के लिए सिफारिश की गई है.

अन्य किस्मों के मुकाबले 32 प्रतिशत अधिक मिठास
चारे वाली ज्वार की सीएसवी 64 एफ किस्म एक कटाई के लिए उपयुक्त है. इस किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में मिठास अधिक है, जिसकी वजह से पशु इसे अधिक पंसद करते हैं व चाव से खाते हैं. इस किस्म में मिठास अन्य किस्मों के मुकाबले 31.9 प्रतिशत तक अधिक है. मिठास व प्रोटीन की अधिक मात्रा के कारण इस किस्म की गुणवत्ता और भी बढ़ जाती है. ज्वार में प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला विषैला तत्व धूरिन इस किस्म में बहुत ही कम है. इस किस्म में धूरिन 67 पीपीएम है. सिफारिश किए गए उचित खाद व सिंचाई प्रबंधन के अनुसार यह किस्म अधिक पैदावार देने में सक्षम है और अधिक बारिश व तेज हवा चलने पर भी यह किस्म गिरती नहीं है.

बीमारियों से लड़ने की है क्षमता
सीएसवी 64 एफ किस्म गोभ छेदक मक्खी व तना छेदक कीट के प्रति प्रतिरोधी है व इसमें पत्तों पर लगने वाले रोग भी नहीं लगते. वैज्ञानिकों के अनुसार चारा उत्पादन, पौष्टिकता एवं रोग प्रतिरोधकता की दृष्टि से यह एक उत्तम किस्म है. इस किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 466 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सूखे चारे की पैदावार 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की सूखे चारे की पैदावार उत्तरी राज्यों के लिए ज्वार की अन्य बेहतर किस्म सीएसवी 35 एफ से 6.9 प्रतिशत अधिक है.

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