नई दिल्ली. पशुओं को बीमारी से बचाना बेहद ही जरूरी होता है, नहीं तो इससे उनका उत्पादन कम हो जाता है. वहीं उत्पादन कम होने के साथ-साथ पशुओं की सेहत खराब होने का भी खतरा रहता है. जिससे पशुओं को जल्दी-जल्दी बीमारियां लगने लगती हैं और 20 से 22 साल जीने वाले पशु कई बार जल्दी मर जाते हैं. इसलिए बेहद ही जरूरी है कि पशुओं को बीमारियों से बचाया जाए. ताकि ना तो उत्पादन पर असर पड़े ना ही पशुओं की सेहत खराब हो. तभी आप पशुपालन के काम में अच्छा खासा मुनाफा कमा पाएंगे नहीं तो नुकसान उठाना पड़ जाएगा. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि पशुओं की मौत से पशुपालन में ज्यादा बड़ा नुकसान होता है.
गौरतलब है कि पशुओं में कई बीमारियां होती हैं, उसी में हाइपोमैग्निसिमिया भी होती है. ये बीमारी आमतौर पर मैग्नीशियम की कमी से पशुओं में पैदा हो सकती है. इस बीमारी की वजह से पशुओं के तंत्रिका तंत्र की अति सक्रियता होती है. जिससे पशुओं की मांसपेशियों में कंपन हो जाता है. वही मांसपेशियों में कमजोरी और लकवा की शिकायत हो जाती है, जो पशुओं के लिए बेहद खतरनाक है. कुछ मामलों में अचानक से मौत हो जाती है. खासकर जुगाली करने वाले जानवरों की मौत हो जाती है. डेयरी जानवरों में इस बीमारी के होने की वजह से दूध उत्पादन में कमी देखी गई है.
हाइपोमैग्निसिमिया बीमारी क्या है, इस बारे में पढ़ें
- यह बीमारी खून में मैग्निशियम की मात्रा कम होने के कारण होती है. जिसमें दूध देने वाले पशु ज्यादा प्रभावित होते हैं.
- पशु अचानक से सिर को झटकना शुरु कर देता है, कराहट भरी आवाज करता है, तेज भागना ओर पैरों को जमीन पर पटकना शुरू कर देता है, जो खतरनाक मामला है.
- मामूली अवस्था में पशु बिना पैर मोड़े चलता है, छूने से या किसी आवाज से उत्तेजित हो जाता है, बार-बार पेशाब करने की शिकायत भी पशुओं में दिखती है.
हाइपोमैग्निसिमिया की रोकथाम व उपचार के बारे में पढ़ें
- एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जिन पशुओं में इसका खतरा हो, उन्हें प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम मैग्रीशियम आक्साइड दे सकते हैं. इससे उन्हें राहत मिलेगी.
- लक्षण दिखाई देने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना समझदारी वाला काम है. क्योंकि पशु तुरंत उपचार से पशु ठीक हो सकता है.
- कुछ पशुओं में 24-48 घंटे के भीतर फिर उपचार करने की जरूरत होती है. तभी फायदा मिला है.