नई दिल्ली. पशुओं को लंपी रोग से बचाना बेहद ही जरूरी होता है. ये बीमारी एक बार फैल जाती है तो इससे पशुओं की मौत तक हो जाती है. इसका कोई बेहतर इलाज भी नहीं है. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fisheries Resources) के एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं में होने वाले लंपी रोग को लेकर इसके लक्षण, उपचार और संचार आदि के बारे में जानकारी करना बेहद ही जरूरी है. ताकि समय पर इस बीमारी पर कंट्रोल किया जा सके. क्योंकि बीमारी फैल जाने पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा.
लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) इस आट्रिकल में आपको लंपी रोग को कैसे कंट्रोल करें और इस बीमारी के होने पर पशुओं का इलाज कैसे किया जाए, इसके बारे में जानकारी देगा.
रोकथाम कैसे करें नियंत्रण
आइसोलेशन (Isolation): संक्रमित पशुओं को तुरंत अलग कर दें. स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशुओं के संपर्क से बचाएं.
साफ-सफाई (Sanitation) पशु आवास और बाड़े को नियमित रूप से साफ करें. कीड़े-मकोड़ो से बचाव के उपाय अपनाएं.
टीकाकरण (Vaccination): क्षेत्र में रोग फैलने से पहले पशुओं का टीकाकरण करें. सिर्फ अधिकृत सरकारी या पशु चिकित्सक द्वारा बताई गई वैक्सीन का उपयोग करें.
कीड़ों पर नियंत्रण (Vector Control): मक्खियों, मच्छरों और टिक्स पर नियंत्रण रखें. पशुओं की आस-पास की जगह साफ-सुथरी और कीटनाशक दवाओं से उपचारित रखें.
लम्पी स्किन रोग का इलाज
इस रोग के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है.
सहायक उपचार के तहत बुखार और दर्द के लिए पशु चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाइयां देना चाहिए.
घावों की सफाई और संक्रमण रोकने के लिए एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए.
पशु को आराम और पौष्टिक आहार देना भी ज़रूरी है.
लम्पी स्किन रोग की सूचना और निगरानी
यदि किसी भी पशु में लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत स्थानीय पशु चिकित्सालय / कार्यालय को सूचना दें.
रोग के फैलाव को रोकने के लिए क्षेत्र में निगरानी और आवश्यक कदम उठाएं.