नई दिल्ली. मक्का एक ऐसी फसल है, जिसको कई चीजों में इस्तेमाल में लिया जाता है. देश में मक्का से एथेनॉल बनाया जा रहा है. वहीं पोल्ट्री सेक्टर में फीड के तौर पर भी मक्का की डिमांड बहुत ज्यादा है. इसके अलावा पॉप कॉर्न को लेकर इसकी बहुत डिमांड है. ऐसे में किसान इस फसल को लगाकर खूब मुनाफा कमा सकते है औंर अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं. जिसको देखते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार की ओर से एक योजना की शुरुआत की गई है. जिसके तहत मक्का के उत्पादन को न सिर्फ बढ़ावा देने बल्कि दोगुना करने की योजना पर काम किया जा रहा है. जिससे पोल्ट्री सेक्टर को भी फायदा होगा.
गौरतलब है कि मक्के के बाबत एक बहुत प्रचलित पहेली है,”‘हरी थी मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी, राजा जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी”. सबने इसे बचपन में सुना होगा. इसमें मक्के को रानी और किसान को राजा कहा गया है. वाकई में बहुउपयोगी मक्का फसलों की रानी है. इसे वैज्ञानिक तरीके से बोने वाला किसान राजा बन सकता है. किसानों की आय बढ़े. वह खुशहाल हों यूपी सरकार का भी यही लक्ष्य है. इसीलिए पूरे प्रदेश को त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. सरकार ने मक्के के हर तरह के बीज पर किसानों को प्रति क्विंटल बीज पर बीज 15 हजार रुपए की दर से सब्सिडी देगी.
पॉप कॉर्न की है ज्यादा डिमांड
इस अनुदान से संकर, देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न तथा स्वीट कॉर्न के बीज भी शामिल हैं. पर्यटक की भीड़ वाले क्षेत्र में देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न तथा स्वीट कॉर्न की अधिक मांग है. इसलिए कार्यक्रम के तहत सरकार इनको भी बढ़ावा दे रही है. एक्टेंशन प्रोगाम के तहत वैज्ञानिक जगह जगह किसान गोष्ठियों में जाकर किसानों को मक्का के उत्पादन, आच्छादन बढ़ाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं. करीब हफ्ते भर पहले यहां लखनऊ में भी राज्य स्तरीय कार्यशाला में इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी।उसे किसानों के लिए कैसे अधिकतम लाभदायी बनाया जाय, इस पर चर्चा हुई थी.
इस योजना की हुई है शुरुआत
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए तय अवधि में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है. इसके लिए रकबा बढ़ाने के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन बढ़ाने पर भी बराबर का जोर होगा. इसके लिए योगी सरकार ने “त्वरित मक्का विकास योजना” शुरू की है. इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023/2024 में 27.68 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
इतना पहुंच चुका है है उत्पादन
अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. कुल उत्पादन करीब 21.16 लाख मिट्रिक है. प्रदेश सरकार की मदद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से संबद्ध भारतीय मक्का संस्थान भी कर रहा है. धान और गेंहू के बाद यह खाद्यान्न की तीसरी प्रमुख फसल है. उपज और रकबा बढाकर 2027 तक इसकी उपज दोगुना करने के लक्ष्य के पीछे मक्के का बहुपयोगी होना है. अब तो एथनॉल के रूप में भविष्य में इसकी संभावनाएं और बढ़ गई हैं.