नई दिल्ली. सरकार है जिस तरह से पशुपालन को बढ़ावा देना चाह रही है, उसी तरीके से अंडा मछली और मीट उत्पादन को भी बढ़ावा देने का काम कर रही है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसान बफैलो फार्मिंग करते हैं तो इससे उन्हें डबल फायदा होता है. जब तक भैंस दूध का उत्पादन करती है. वह उन्हें डेयरी के काम में लेते हैं और दूध से कमाई करते रहते हैं लेकिन जब दूध देना बंद कर देती है तो स्लाटर हाउस में उसे भेज दिया जाता है. इससे भी किसानों को अच्छी इनकम हो जाती है. वहीं भैंस के बछड़े भी एक से 2 साल में तैयार हो जाते हैं तो उन्हें स्लाटर में भेज दिया जाता है. इससे किसानों की कमाई हो जाती है.
बताते चलें कि कई देशों में भारत के बफैलो मीट को काफी पसंद किया जाता है. इस वजह से भारत से बड़ी मात्रा में बफैलो मीट भी एक्सपोर्ट किया जाता है और इससे अच्छी इनकम पशुपालकों को होती है. वहीं पूर्वोत्तर भारत में असम सरकार ने अंडा मछली और सूअर के मांस के उत्पादन को बढ़ावा देने की बात कही है. सरकार की ओर से कहा गया है कि इन चीजों को बढ़ावा देकर किसानों की इनकम को डबल किया जाएगा. गौरतलब है कि अंडा और मछली का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कई सरकारें काम कर रही हैं. खासतौर पर लोगों में इसके सेवन के लिए जागरुकता भी पैदा करने का काम किया जा रहा है.
कनाडाई पशु का होगा आयात
पूर्वोत्तर भारत में असम सरकार ने अंडा, मछली और सूअर के मांस के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए प्रमुख पहल की घोषणा की है. इस बात का ऐलान वित्त मंत्री अजंता नियोग ने किया है. उन्होंने इसका खुलासा करते हुए कहा कि शुद्ध-पंक्ति सुअर प्रजनन कार्यक्रम और सुअर कृत्रिम गर्भाधान मिशन के लिए 1.26 मिलियन अमरीकी डालर यानि 11 करोड़ भारतीय रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें आनुवंशिक वृद्धि के लिए कनाडाई सुअर नस्लों का आयात भी शामिल है.
अंडा उत्पादन और मुर्गी पालन के लिए 24 करोड़ हुए खर्च
इसके अतिरिक्त, 2.75 मिलियन अमरीकी डालर यानि 24 करोड़ भारतीय रुपए अंडा उत्पादन और मुर्गी पालन के व्यावसायीकरण का समर्थन करने के लिए खर्च किया जाएगा. एक समर्पित समिति स्थानीय मछली, मछली चारा, सूअर का मांस और अंडे के उत्पादन को बढ़ाने के लिए रणनीतियों का पता लगाएगी. असम पशु चिकित्सा सेवाओं को बढ़ाने के लिए राज्य भर में मल्टी-केयर अस्पताल और पालतू जानवरों की देखभाल की सुविधाएं बना रहा है, जिनका संचालन अक्टूबर 2025 तक होने की उम्मीद है. इन पहलों का उद्देश्य असम के कृषि परिदृश्य को मजबूत करना और बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करना है.