Poultry Farming: मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए इन 16 प्वाइंट्स को जरूर पढ़ लें मुर्गी पालक

poultry meat production in india

मुर्गियों की फॉर्म के अंदर की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पोल्ट्री में ऐवियन इन्फ्लुएन्जा (बर्डफ्लू), गम्बोरो रोग, न्यूकैसल रोग (रानीखेत रोग), इन्फेक्सियस ब्रोन्काइटिस, लीची रोग, सीआरडी, कोलीबेसिलोसिस आदि रोगों का बहुत असर देश में देखा जाता है. जिसके चलते पोल्ट्री सेक्टर को बहुत अधिक नुकसान होता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि पोल्ट्री में बीमारियों की रोकथाम के तरीके अपनाये जायें जो कारगर साबित होने के साथ-साथ सरलता और सुगमता से अपनाये जा सकें. एक्सपर्ट का कहना है कि उपचार से बचाव ही बेहतर है. इसलिए बचाव का तरीका अपनाना चाहिए.

एक्सपर्ट के मुताबिक बर्ड को बीमारियों के प्रकोप से बचाने के लिए पहले से अपनाये हुए उपाय बीमारी आने के बाद उपचार करने से अधिक प्रभावी होते हैं.

शेड में इन बातों का दें ध्यान
शेड को खुला नही छोड़ा जाना चाहिए और इसे फार्म के संचालन के अलावा हर समय बंद रखा जाना चाहिए.

हर फार्म के प्रवेश द्वार पर फुटवियर, फुट-डिप और हाथ धोने के लिये अलग से सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए.

फार्म में इस्तेमाल सभी सामग्रियों की उचित साफ-सफाई एवं कीटाणुशोधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

सभी दवाओं, टीकों, अन्य सभी सामग्रियों आदि की सफाई सुनिश्चित की जानी चाहिए और उन्हें एक विशिष्ट भंडारण कक्ष में 10 दिनों के क्वारंटाईन अवधि में भण्डार कर रखा जाना चाहिए.

रोगों की रोकथाम के लिए अधिक आबादी वाले शेड में रोगाणुनाशक घोल का छिड़काव (फॉगिंग) नियमित रूप से किया जाना चाहिए.

फार्म में वाहनों की आवाजाही पर लगाएं प्रतिबंध
फार्म परिसर में प्रवेश करने से पहले वाहनों की उचित सफाई और कीटाणुनाशन किया जाना चाहिए.

फार्म के प्रवेश द्वार पर व्हील डिप और श्रमिकों के लिये कीटाणुनाशन के साथ बना वॉक वे का प्रावधान होना चाहिये.

सफाई और कीटाणुशोधन करने वाले व्यक्तियों को स्वच्छ आवरण अर्थात एप्रन, दस्ताने, फेस मास्क, टोपी आदि पहनना चाहिए.

कीटाणुशोधन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए, वाहन से सभी उपकरण निकाल लेने चाहिए, जिनके पुर्जे अलग किये जा सकते हैं तथा जिनको मौके पर साफ नहीं किया जा सकता है.

सभी सतहों को भिगोने के लिए उच्च प्रेशर वाले पानी पंपिंग सिस्टम के साथ एक शक्तिशाली वाहन सफाई उत्पाद का उपयोग करना चाहिए.

वाहनों के पहियों, छत, सीढ़ीओं आदि की उचित साफ-सफाई आवश्यक है तथा सफाई करने के पश्चात् इसे 15 से 30 मिनट के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए.

उसके बाद कीटाणुनाशक का उपयोग सभी सतहों पर अंदर और बाहर करना चाहिये.

साफ-सफाई की प्रक्रिया के दौरान, इसे ऊपर से नीचे तक ठीक तरह से शुरू करना चाहिए एवं दरारें और पहियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

फार्म में ड्राइवर की आवाजाही पर प्रतिबंध लागू करना चाहिए और उन्हें शेड या फार्म में जाने की अनुमति नही देनी चाहिए.

दाना पहुंचाने वाले सभी वाहन की सफाई दाना उतारने से पूर्व करनी चाहिए.

आहार या दाना वितरण की प्रक्रिया के दौरान, सबसे पहले युवा झुण्ड को देने के बाद वयस्क झुण्ड को दिया जाना चाहिए.

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