नई दिल्ली. मुर्गी पालन के जानकारों कहना है कि पोल्ट्री फार्मिंग का पूरा का पूरा काम मैनेजमेंट पर निर्भर करता है. अगर आप अच्छी तरह से पोल्ट्री फार्मिंग करते हैं तो फिर इससे आपको फायदा भी ज्यादा मिलता है. चाहे आप अंडों के उत्पादन के लिए लेयर मुर्गियों को पाल रहे हों या फिर मीट उत्पादन के लिए ब्रॉयलर चिकन को पाल रहे हों, दोनों ही तरह की पोल्ट्री फार्मिंग में मैनेजमेंट बेहद ही अहम है. हालांकि यह तभी हो पाएगा, जब आप पोल्ट्री फार्मिंग की ट्रेनिंग लेंगे या किसी अनुभवी पोल्ट्री फार्मर्स से इन चीजों के बारे में सीखेंगे.
हालांकि पोल्ट्री फार्मिंग हो या फिर पशुपालन या फिश फार्मिंग, सभी चीजों की जानकारी लाइव स्टक एनिमल न्यूज आपको समय-समय पर देता रहता है. जिससे कि आपको अपने व्यवसाय को करने में ज्यादा दिक्कत ना आए. आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक अहम चीज की जानकारी देने जा रहे हैं, जो पोल्ट्री फार्मिंग के काम में बेहद ही अहम है और इससे मुर्गियों की बीमारी से लेकर तमाम चीजों का सीधा संबंध है तो आइए इस बारे में जानते हैं.
कितना होना चाहिए साइज
दरअसल, हम बात कर रहे हैं फीडर और ड्रिंकर की हाइट कितनी होनी चाहिए, पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि फीडर और ड्रिंकर की हाइट हमेशा ही बर्ड की हाइट के अनुसार करना बेहद ही जरूरी है. ड्रिंकर लाइन हमेशा ही बर्ड की चोंच की लेवल पर रखना चाहिए. वहीं फीडर हमेशा ही बर्ड की पीठ के लेवल पर होना चाहिए. शुरू से लेकर आखिरी तक इन बातों का अगर आप ध्यान रखते हैं तो इससे मुर्गियों को कई फायदे होते हैं. सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे बर्ड को जॉइंट पेन और लंगड़ापन नहीं होता है. वहीं बर्ड कमजोरी नहीं होती है. जबकि साइज में छोटा या बड़ा होने की समस्या नहीं होती है. वहीं मेडिसिन का खर्चा भी बच जाता है.
तो बढ़ जाएगा मुनाफा
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि फीडर और ड्रिंकर का सही एडजस्टमेंट मुर्गियों के डाइजेशन को भी अच्छा करने में मददगार साबित होता है और इससे बर्ड का साइज बराबर होता है. सबसे अहम बात यह है कि मुर्गियों में मृत्यु दर बेहद ही कम हो जाती है. जबकि मुर्गी पालन में सबसे ज्यादा नुकसान मुर्गियों की मौत की वजह से ही होता है. इतना ही नहीं मुर्गियां बीमार भी नहीं पड़ती हैं. अगर मुर्गियां बीमार नहीं पड़ेंगी तो आपको दवा पर कम खर्च करना पड़ेगा. इससे मुर्गी पालन की लागत कम हो जाएगी और मुनाफा आपका ज्यादा बढ़ जाएगा.