Poultry Farming: मुर्गी पालन शुरू करने के लिए अच्छे पोल्ट्री फार्म को कैसे करें डिजाइन, पढ़ें यहां

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केज में पाली जा रही हैं मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. आजादी के बाद से ही देश में पशु पालन के क्षेत्र में काफी उन्नति हुई है. वहीं पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस ने भी अपना एक अलग स्थान बना लिया है. कहा जाता है कि ये सबसे तेजी के साथ बढ़ने वाला व्यवसाय है. पोल्ट्री फार्मिंग से हासिल प्रोडक्ट जैसे अंडा इंसानों के शरीर को सुपाच्च प्रोटीन देने का एक प्रमुख सोर्स है. इसी प्रकार मुर्गी पालन से मांस व बीट प्राप्त होती है. मांस से न जाने कितने प्रोडक्ट बनते हैं और लोग इसे चाव से खाते हैं. वहीं बीट का प्रयोग खाद के लिए किया जाता है. करीब 40-50 मुर्गियों से हासिल बीट एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त रहती है.

मुर्गी पालन द्वारा छोटे एवं मध्यम वर्ग के किसानों को पूंजी जल्दी व नियमित रूप से प्राप्त हो सकती है. वहीं इस व्यवसाय से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए सही वैज्ञानिक जानकारी होना बेहद ही जरूरी है. इसलिए उच्च गुणटत्ता वाली मुर्गों को यदि उचित स्थान, रख-रखाव संतुलित आहार व स्वच्छ पानी सही समय पर उपचार व टीकाकरण करवा दिया जावे तो अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

पोल्ट्री फार्मिंग के लिए स्थान का चुनाव

मुर्गों फार्म के लिए जमीन ऐसे स्थान पर हो जहां आने जाने की सुविधा हो.

बिजली व पानी की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए.

जमीन थोड़ी ऊंचाई की तरफ हो जिससे बारिश का पानी जमा रहने की सम्भावना न हो.

मुर्गी फार्म में सूरज की रोशनी व ताजी हवा का पूर्ण आवागमन होना चाहिए.

फार्म के चारों ओर छायादार वृक्ष होने चाहिए जिससे अत्यधिक तू से बचाव हो सके.

मुर्गियों का घर कैसा हो

एक अंडा देने वाली मुर्गियों को 23 वर्ग फुट व मांस वाली मुर्गी को 1 वर्ग फुट के स्थान की आवश्यकता होती है.

मुर्गी घर बनाने के लिए स्थानीय उपलब्ध सामान का प्रयोग करना चाहिए जिससे लागत कम पड़ती है.

दड़बे की ऊंचाई वाली दीवारें पूर्व एवं पश्चिम की ओर एवं लम्बी दीवारें उत्तर दक्षिण की ओर हो जिससे सूरज की धूष सीधी न आये.

मुर्गी आवास का फर्श कंकरीट का होना चाहिए. फर्श पर होने वाली नमी लीटर या विछावन को गीला कर देगी जिससे संक्रामक रोगों के फैलने की अधिक सम्भावना रहती है.

फर्श पर बिछावन के लिए गेहूं का भूसा लकड़ी का बुरादा मूंगफली के छिलके जई का पूआल/गजे के डंठल सूखी घास जो भी सस्ता मिले काम में ले सकते हैं.

नमी के दिनों में बिछावन को हफ्ते में एक बार उलट पुलट कर देना अच्छा रहता है.

अधिक गर्मी में बिछावन बहुत सूख जाता है इसलिए कभी-कभी पानी का स्प्रे करना ठीक रहता है.

विछावन पर काफी नमी हो तो बुझाया हुआ चुना डेढ़ किलो प्रति एक वर्ग मीटर के आधार पर मिला देना चाहिए.

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