नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग के दौरान मुर्गियों में बीमारियां होना अच्छी बात नहीं है. अगर पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों को बीमारी होती है तो इसके चार कारण उच्च मृत्यु दर उत्पादन में कमी, आर्थिक नुकसान, बाजार में प्रतिबंध और इंसानों को होने वाली बीमारियों जूनोटिक बीमारियों का गंभीर खतरा बढ़ जाता है. इसलिए मुर्गियों को हर हाल में बीमारियों से बचाना चाहिए. ताकि पोल्ट्री फार्मिंग में होने वाले संभावित नुकसान से खुद को पोल्ट्री फार्मर बचा सकें. इससे पोल्ट्री फार्मिंग के काम में मुनाफा बढ़ जाएगा.
बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fishery Resources) की ओर से मुर्गियों में होने वाली कुछ बीमारियों जैसे वायरल बीमारियों आदि के बारे में अहम जानकारी दी गई है. यहां बताया गया है कि अगर वायरल बीमारी हो तो उसके लक्षण क्या हैं. उपचार कैसे किया जा सकता है और रोकथाम का क्या तरीका है. यदि आप भी इसे जानना चाहते हैं तो लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें ताकि आपको इन बीमारियों से बचाव आदि की जानकारी मुकम्मल तौर पर हो सके.
गम्बोरों रोग के क्या हैं लक्षण
भूख न लगना, सुस्ती, सफेद या पतला दस्त आदि गम्बोरों के मुख्य लक्षण हैं.
उपचार कैसे करें
इस रोग के इलाज के लिए कोई सटीक दवा उपलब्ध नही है. विटामिन-सी और इलेक्ट्रोलाइट देने से आराम मिलता है.
रोकथाम का तरीका क्या है
14-21 दिन की उम्र में IBD का टीका लगवाना चाहिए.
कृमि से होने वाली बीमारी के लक्षण
वजन घट जाना, दस्त, अंडा उत्पादन में कमी होना आदि.
Piperazine, Albendazole जैसी दवाएं देकर इसका उपचार किया जा सकता है.
रोकथाम के लिए हर 3 महीने पर कीड़े मारने की दवा दें.
रानीखेत रोग क्या है
इस बीमारी के लक्षण की बात की जाए तो सिर व गर्दन टेढ़ा होना, हरा पतला दस्त, चोंच से झाग निकलना अंडा उत्पादन कम हो जाना, अचानक मृत्यु होना लक्षण हैं.
इसका कोई इलाज नहीं. इलेक्ट्रोलाइट और मल्टीविटामिन देने से कुछ राहत मिलती है. रोकथाम के लिए टीकाकरण 7 वें दिन से शुरू करें और समय-समय पर दोहराएं
निष्कर्ष
मुर्गियों में होने वाली बीमारियों से बचाव करना बेहद ही जरूरी है. ताकि उत्पादन पर असर न पड़े और इससे पोल्ट्री फार्मिंग के काम में नुकसान न हो.