नई दिल्ली. मीट सेहत के लिए फायदेमंद है. एक्सपर्ट का मानना है, कि एक हेल्दी व्यक्ति अगर हर दिन मीट का सेवन करता है वो 90 ग्राम मीट खा सकता है. इससे उसकी सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ेगा. मीट खाने वाले व्यक्ति को शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन सिर्फ मीट से ही मिल जाती हैं. आज कल सरकारें स्वास्थ्य के लिए कई प्रोग्राम चला रही हैं. देश में पोषण को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम चलाई जा रही हैं. मीट बिक्री का असर उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है. मटन, पोल्ट्री और मछली की आपूर्ति के लिए उत्तराखंड सरकार और ITBP के बीच हुए समझौते से 253 किसानों को लाभ हुआ है, जिससे उन्हें सिर्फ़ चार महीनों में 1.6 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम और आईजी संजय गुंज्याल (ITBP) द्वारा 30 अक्टूबर, 2024 में एक एमओयू शुरू किया था. 14 नवंबर, 2024 से 20 मार्च के बीच, राज्य में 14 ITBP बटालियनों को 35,167 किलोग्राम जीवित भेड़ और बकरी, 23,338 किलोग्राम पोल्ट्री और 6,514 किलोग्राम ट्राउट मछली प्राप्त हुई. नवंबर में 9,415 किलोग्राम से मार्च तक मासिक आपूर्ति लगातार बढ़कर 16,091 किलोग्राम हो गई. अभीआईटीबीपी की कुल मांग का केवल 25 प्रतिशत पिथोरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और चंपावत के किसान पूरा करते हैं. नवंबर में मासिक आपूर्ति 9,415 किलोग्राम से बढ़कर मार्च तक 16,091 किलोग्राम हो गई.
चार जिलों से होगी आपूर्तिः अधिकारियों ने कहा कि 1 अप्रैल से 100 प्रतिशत आपूर्ति इन चार जिलों के पशुपालकों से होगी. उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ के सिरा गांव के पोल्ट्री किसान विजय कैंतुरा ने 2,750 किलोग्राम पोल्ट्री की आपूर्ति की है, जिससे उन्हें 3.7 लाख रुपये की कमाई हुई है. इस परियोजना को गेम चेंजर बताते हुए उन्होंने मीडिया से कहा, पहले मैं हर महीने करीब 40 क्विंटल मुर्गी बेचता था और अब यह 60-65 क्विंटल हो गया है. इसी तरह उत्तरकाशी के विजय सिंह राणा ने 754 किलो मीट ऑन द हो-ऑफ (एमओएच) की आपूर्ति की और 2.2 लाख रुपये कमाए.
जल्द होता है किसानों का भुगतानः जिले के दो अन्य किसानों सुरेंद्र सिंह और प्रकाश कोली ने 730 किलो एमओएच और 1,049 किलो एमओएच के लिए क्रमश: 2.1 लाख रुपये और 3.3 लाख रुपये कमाए. पशुपालन सचिव पुरुषोत्तम ने कहा कि 5 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फंड के जरिए किसानों को एक या दो दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाता है. आईटीबीपी से भुगतान लगभग एक महीने बाद आता है, लेकिन हम यह तय करते हैं कि किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से जल्द से जल्द उनका भुगतान मिल जाए. इससे प्रक्रिया से बिचौलियों को हटा दिया गया है और प्रजनकों को सीधे लाभ हुआ है.
सीमा सुरक्षा को बढ़ावा देती है पहलः संजय गुंज्याल ने कहा, यह पहल सीमा सुरक्षा को भी बढ़ावा देती है, जबकि सीमावर्ती गांवों में स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। स्थानीय खरीददारी से लोग गांवों में वापस आएंगे. उन्होंने कहा कि यह पहल पशुधन की स्थानीय सोर्सिंग के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट को कम करके पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देती है. आईजी ने कहा, सफल पाई-लॉट परियोजना के बाद, अब बटा-लायंस के लिए 100 प्रतिशत मांसाहारी भोजन स्थानीय रूप से प्राप्त किया जाएगा.