Shrimp Farming: अमेरिकी टैरिफ बढ़ने के बाद झींगा किसानों की देश से मार्मिक अपील, यहां पढ़ें

jhinga machli palan

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ में झींगा पालन करने वाले किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. 25 से 30 साल से फार्मिंग करने वाले किसानों का कहना है कि उनके लिए काफी मुश्किल का समय है और सरकार फिशरीज इससे जुड़े अधिकारी भी परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें? जिससे उनके सामने वाली परेशानी दूर हो जाए. ऐसे में बड़े झींगा किसानों में शामिल मनोज शर्मा ने देशभर के नॉनवेज खाने वाले लोगों से एक मार्मिक अपील की है.

गौरतलब है कि अमेरिका तकरीबन तीन से चार लाख टन झींगा भारत से खरीदता है. ऐसे में किसानों के सामने समस्या है कि अब आगे आने वाले वक्त में क्या होगा? घबराहट की वजह से हार्वेस्टिंग कर रहे हैं यह स्थिति उनके लिए बेहद ही खराब है.

क्या-क्या कहा पढ़ें यहां
पहले तो उन्होंने झींगा किसानों से अपील किया है कि घबराकर हार्वेस्टिंग ना करें. बल्कि अच्छे से झींगा तैयार करें. इस काम को वक्त दें और इस बात का इंतजार करें कि आगे आने वाले समय में स्थिति में सुधार होगा.

सरकार या फिशरीज डिपार्टमेंट, मरीन प्रोडक्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी Marine product development authority इसको लेकर कोई ना कोई रास्ता ढूंढेंगी. ताकि किसने की समस्याएं दूर हो जाए.

उन्होंने ये भी माना कि ये जरूरी नहीं है कि कोई रास्ता जल्दी से निकल आए लेकिन उम्मीद है कि दो-तीन महीने में कोई रास्ता निकलेगा.

मनोज शर्मा का कहना है कि काफी समय से कोशिश कर रहे हैं कि घरेलू स्तर पर झींगा मार्केट के लिए लेकिन कामयाबी नहीं मिली है.

उनका कहना है कि देश में 150 करोड़ लोगों में से 100 करोड़ लोग नॉनवेज खाते हैं. ऐसी मुसीबत की घड़ी में हर नॉनवेज खाने वालों से उन्होंने अपील की है कि सैटरडे संडे को झींगा इस्तेमाल करें.

अगर 1 महीने में 1 किलो झींगा इस्तेमाल करते हैं तो अमेरिका को जाने वाला तीन चार लाख टन सप्लाई 2 महीने में ही खत्म हो जाएगा. इससे झींगा किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी.

36 हजार करोड़ की इस इंडस्ट्री पर डेढ़ से दो करोड़ लोग निर्भर हैं. इस सेक्टर में लोगों को रोजगार मिलता है.

उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ सबसे अच्छा और आसान रास्ता यही है कि देश में झींगा मार्केट पर काम किया जाए.

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