नई दिल्ली. पशुपालन के प्रति लोगों की रुचि अब बढ़ रही है. किसान जहां पशुपालन से अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं तो वहीं पशुपालन में अच्छा खासा निवेश भी कर रहे हैं. जिसका फायदा उन्हें भी मिल रहा है और वो देश की तरक्की में अपना योगदान भी दे रहे हैं. पशुपालन के प्रति किसान कितने गंभीर हैं, इसी की नजीर सूरतगढ़ में आयोजित राशनलाइशन के तहत अधिशेष थारपारकर नस्ल की गायों और बछड़ियों की सार्वजनिक नीलामी में दिखी. भारत सरकार के केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म में बीते दिनों जब बोली लगी तो थारपारकर नस्ल की गायों और बकरियों को इसमें शामिल किया गया. जिसमें एक थारपारकर नस्ल की गाय ने नीलामी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
तकरीबन 85 किसानों और पशुपालकों ने इस नीलामी में बोली लगाई और जिसमें से थारपारकर गाय संख्या 8034 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के निमसोड निवासी ब्रीडर पुष्कराज बिठुल ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर अपने नाम किया. उन्होंने इस थारपारकर गाय को हासिल करने के लिए 9 लाख 25 हजार रुपये की बोली लगाई जो अब तक का रिकॉर्ड है. केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के इतिहास में कभी भी इतनी बड़ी बोली नहीं लगी थी. इस बिक्री से संस्थान के अधिकारी भी काफी खुश नजर आए.
इससे पहले भी लगी बड़ी बोली
केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के ज्वाइंट कमिश्नर वीके पाटिल ने बताया कि कुछ वर्षों से नीलामी में स्वदेशी थारपारकर नस्लों की गायों के प्रति किसानों एवं पशुपालकों में रुचि बढ़ी है. किसान अच्छा उत्पादन करने वाली गायों के प्रति ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी थारपारकर लाखों रुपये में बिकी थी. तब एक पशुपालक ने इसकी बोली 3 लाख 55 हजार रुपये में लगाई थी. उन्होंने बताया कि हालांकि इसका रिकॉर्ड टूट गया है और अब सबसे बड़ी बोली 9 लाख 25 हजार रुपये में लगाई गई है. कहा कि इतनी बड़ी बोली लगाकर थारपाकर गाय को खरीदना ये बताता है कि आने वाले समय में देश पशुपालन के क्षेत्र खूब तरक्की करने वाला है.
नीलामी के लिए रखी गई थी 43 गायें
बता दें कि राशनलाइशन के तहत अधिशेष थारपारकर नस्ल की गायों और बछड़ियों की सार्वजनिक नीलामी में 43 पशुओं को रखा गया था. जिसमें से ज्यादातर पशुओं को किसानों ने अपने नाम कर लिया है. फॉर्म को पशुओं की इस नीलामी से 79.48 लाख रुपये की आमदनी हासिल हुई है. इस नीलामी में पशुपालकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. किसानों के बीच थारपारकर गाय के शुद्ध जर्मप्लाज्म के लिए बढ़ती रुचि देखी गई है. इस दौरान किसानों को प्रजनन के लिए शुद्ध जर्मप्लाज्म के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई.