Animal Heritage of Assam: असम की पहचान हैं ये लखिमी गाय और लुइट भैंस, जानिए इनके बारे में डिटेल

पशुपालक गाय पालकर दूध बेचते हैं अगर उनके पास दुधारू गाय होती है तो इससे वह अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं.

लखिमी गाय का प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली. देश में आजकल बड़े पैमाने पर पशुपालन किया जाता है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ऐसे लोग जिनका जीवन पशुपालन पर निर्भर करता है और वह आज भी अपना गुजारा गाय या भैंस के जरिए निकलने वाले दूध को बेचकर करते हैं. दुनिया में ऐसी कई गायों की नस्ल हैं, जिन्हें अगर पालेंगे तो वो आपको दूध से मालामाल कर देगी. आज हम आपको ऐसी ही नस्ल की जानकारी इस आर्टिकल में दे रहे हैं. ये असम में बेहद खास है. इस गाय का नाम है लखिमी गाय. ये एक दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है जो पूरे असम राज्य में पाई जाती है. ये भूरे और ग्रे रंग के कोट. छोटे आकार के सींग वाले और अपेक्षाकृत छोटे पैर वाले होते हैं. कोट का रंग मुख्य रूप से भूरा और ग्रे होता है.

देश के कई हिस्सों में आज दुग्ध पालन होता है. कई जगहों पर गायों का पालन किया जाता है. पशुपालक गाय पालकर दूध बेचते हैं अगर उनके पास दुधारू गाय होती है तो इससे वह अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं. लेकिन अगर दुधारू गाय नहीं हुई तो कमाई कम होती है. वैसे तो देश में गाय की 41 पंजीकृत नस्ल थीं, अब इसमें 10 को और जोड़ दिया है. ऐसे में 51 रजिस्टर्ड नस्ल हो गई हैं. भारत में गिर गाय, साहीवाल गाय, राठी गाय, नागौरी गाय, थारपारकर गाय, हरियाणवी गाय, कांकरेजगाय, बद्री गाय, पुंगनुर गाय,लाल सिंघी गाय, आदि नाम की बेहतरीन ब्रीड है, जो दूध देने में बहुत अच्छी हैं.

असम की लखिमी गाय: ये असम के सभी जिलों में पाई जाती है. सफ़ेद थूथन के छल्लों के साथ लाल-भूरे रंग का कोट होता है. छोटा कूबड़ और बालों वाले क्षैतिज कान होते हैं. इसका शरीर छोटा लेकिन सुगठित होता है. आर्द्र परिस्थितियों के लिए उच्च अनुकूलनशीलता होती है. हालांकि इस गाय से दूध का उत्पादन कुछ कम होता है.

लुइट (दलदली) भैंस: ये भैंस असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, सिबसागर, चराईदेव, जोरहाट, गोलाघाट, धेमाजी, माजुली, लकीमपुर, बिस्वनाथ जिले मणिपुर के आस-पास के जिलों में पाई जाती है. दूध के लिए ये भैंस जानी जाती है. पशुपालक इसका दूध बेचकर अच्छी खासी कमाई करते हैं. इस भैंस का शरीर मोटा होता है, प्रमुख कंधों के साथ होता है. इस नस्ल की भैंस बालों वाला भूरा कोट, घुटने तक हल्के/सफेद मोजे के साथ होते हैं. लंबे अर्ध-वृत्ताकार सपाट सींग होते हैं. गर्दन के चारों ओर सफेद छल्ला होता है. इसकी पूंछ छोटी होती है.

भारत में सबसे ज्यादा दो विदेशी नस्ल एचएफ और जर्सी गाय प्रचलन में हैं. इन दोनों गायों को ज्यादा दूध देने की वजह से पाला जाता है. एचएफ और जर्सी नस्ल की गाय 50 से 70 लीटर तक दूध देती हैं. जर्सी नस्ल की गायों ने 76-77 लीटर तक दूध दिया है. लेकिन देसी नस्ल की गायों के मुकाबले विदेशी नस्ल की गायों के दूध को कमजोर ही माना जाता है.

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