Fish Farming: क्यों करना चाहिए तालाब में गोबर का इस्तेमाल, कैसे पहुंचाता है मछलियों को फायदा

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मछली का तालाब.

नई दिल्ली. मछली पालन अच्छा काम है और इसे करके इनकम कमाई जा सकती है लेकिन मछली पालन में तभी सफलता मिलती है जब आपको मछली पालन करने के सटीक तरीकों के बारे में जानकारी होगी. अगर आप मछली पालक हैं तो आपने कभी न कभी गोबर चूना और सेंधा नमक जैसी चीजों का इस्तेमाल जरूर किया होगा. या आप मछली पालन के काम में नए हैं तो जान लें कि इन चीजों का इस्तेमाल बेहद ही जरूरी है. ऐसे में आपके जहन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर तालाब में इन चीजों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है.

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गोबर का इस्तेमाल तालाब में क्यों करना चाहिए? गोबर का इस्तेमाल करने से मछलियों को क्या फायदा होता है? गोबर का इस्तेमाल से तालाब कितना करना चाहिए? आपको फायदे गिनाने से पहले बता दें कि तालाब में गोबर डालना बेहद ही जरूरी होता है.

मछलियों को मिलता है प्लैंक्टन
बता दें कि गोबर एक ऐसी चीज है, जिससे फ्लाइटो प्लैंक्टन मछलियों को मिलता है. वहीं गोबर की सहायता से तालाब में जू प्लैंक्टन की ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलता है, जो कहीं न कहीं मछलियों का संतुलित आहार माना जाता है. फ्लाइटो प्लैंक्टन उन्हें कहते हैं जो तालाब में छोटे-छोटे हरे पौधे दिखाई देते हैं, जो मछलियों की ग्रोथ के लिए बेहद ही जरूरी हैं. गोबर के इस्तेमाल से पानी की गुणवत्ता को कोई नुकसान नहीं होता है क्योंकि गोबर पूरी तरह से फर्मेंटेड होता है, यानी कि सड़ा हुआ होता है. बल्कि गोबर का इस्तेमाल करने से तालाब मछलियों की ग्रोथ के लिए अच्छे से तैयार हो जाता है. क्योंकि प्लैंक्टन मछलियों के लिए नेचुरल फीड का काम करता है. इससे मछलियों की ग्रोथ अच्छी होती है.

पानी का पीएच हो जाता सही
गोबर के इस्तेमाल से पानी का रंग हल्का सा हरा हो जाता है. गोबर डालने से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है और प्लैंक्टन बनता है, जो मछलियों का बेहतरीन आहार होता है और इससे मछलियों की ग्रोथ में मदद मिलती है. गोबर ऐसी चीज है जो आसानी से गांव में उपलब्ध हो जाता है. बहुत ज्यादा क्षारीय मिट्टी जिनका पीएच मान ज्यादा है, उसमें गोबर की सही मात्रा मिलने से फायदा होता है. अगर इसकी सही मात्रा की बात करें तो 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर बताई जाती है. या इसके अलावा पानी के पीएच लेवल को मेंटेन करने के लिए जिप्सम के 5 फीसदी प्रति हेक्टेयर के इस्तेमाल से मछली पालन के लिए योग्य पीएच लेवल बनाया जा सकता है.

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