नई दिल्ली. जलीय कृषि में घुलित ऑक्सीजन सबसे महत्वपूर्ण जल गुणवत्ता मापदंडों में से एक है. पानी में घुलित ऑक्सीजन का अच्छा स्तर मछली उत्पादन के लिए बेहद ही जरूरी है, क्योंकि आहार ग्रहण, रोग प्रतिरोध और उपापचय पर सीधा प्रभाव डालता है. घुलित ऑक्सीजन का स्तर मछली और झींगा के लिए तनावपूर्ण स्थिति उत्पन करता हैं. निचले स्तर 3 पीपीएम घुलित ऑक्सीजन के कारण धीमी वृद्धि और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी आती है, और 1 पीपीएम से नीचे का स्तर घातक हो सकता है. इसलिए जलीय कृषि प्रणालियों में घुलित ऑक्सीजन का स्तर 5 पीपीएम से ऊपर रखना महत्वपूर्ण है.
मत्स्य पालन विभाग उत्तर प्रदेश (Fisheries Department) के एक्सपर्ट के मुताबिक प्रकाश संश्लेषण और श्वसन क्रिया के कारण तालाबों में गतिशील ऑक्सीजन चक्र में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता रहता हैं. बता दें कि प्रकाश संश्लेषण जिसमें मछलियां दूप का इसतेमाल करके ऊर्जा बढ़ाती हैं. प्रकाश संश्लेषण और सांस लेने की क्रिया में संतुलन के साथ-साथ सूक्ष्म शैवाल की वृद्धि का प्रबंधन मछली किसानों में एक महत्वपूर्ण कार्य है.
ऑक्सीजन कम हो जाए तो क्या करें
प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से दिन के दौरान ऑक्सीजन (O2) के निर्माण के कारण दोपहर में अधिकतम घुलित ऑक्सीजन होगा. प्रकाश संश्लेषण रात के दौरान नहीं होता हैं, इसलिए घुलित ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता हैं.
इस बात ध्यान रखें कि तापमान कम होने पर पानी में घुलित ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ जाती है और लवणता बढ़ने पर घट जाती हैं.
मछली और झींगा में आहार ग्रहण समय, ऊर्जा व्यय में वृद्धि के कारण ऑक्सीजन की मांग अधिक होती है. इस उच्च ऑक्सीजन की मांग का सामना करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं.
रात के समय एयररेटर का प्रयोग करें जब घुलित ऑक्सीजन 4 पीपीएम से कम हो. जब प्लैंक्टन मर जाता है तो उन्हें बाहर निकाल दें और एयरेटर को चलाएं.
आहार खिलाने के दरों को कम करें या अधिक बार खिलाने पर एक ही फीड फैलाएं तापमान के अंतर से बचने के लिए तालाब के पानी को किसी चीज से हिलाएं
कम घुलित ऑक्सीजन स्तर में सुधार के लिए पानी को समय-समय पर बदलते रहें. इससे ऑक्सीजन बढ़ जाएगी.