Fisheries: त्रिपुरा बनेगा ऑर्गेनिक फिश क्लस्टर, 42 करोड़ की लागत से बना एक्वापार्क, जानें और क्या है खास

एक्वपार्क की आधारशीला रखते मंत्री राजीव रंजन व अन्य.

नई दिल्ली. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह ने आज त्रिपुरा के अगरतला में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत कैलाशहर, त्रिपुरा में 42.4 करोड़ रुपये की लागत से एक एकीकृत जल पार्क की आधारशिला रखी. इसके अलावा, इस कार्यक्रम में राज्य की समृद्ध संस्कृति की प्रदर्शनी और विविध मछलियों पर एक मछली महोत्सव का उद्घाटन भी किया गया. इस दौरान उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र ने 2014-15 से 9.08 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है जो भारत में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक है.

मंत्री ने मछली पालन क्षेत्र में त्रिपुरा की विशाल संभावना को पहचानते हुए, उन्होंने आधुनिक तकनीक, एकीकृत खेती और नवाचार के उपयोग के माध्यम से मांग और आपूर्ति के बीच की कमी को पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया. राजीव रंजन ने कहा कि देश के 11 एकीकृत जल पार्कों में से 4 पूर्वोत्तर क्षेत्र में बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक त्रिपुरा में बनाया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री ने हितधारकों से त्रिपुरा को एक ‘‘मछली आधिक्‍य राज्य’’ में बदलने और त्रिपुरा की 1.5 लाख टन की मांग से अधिक 2 लाख टन मछली उत्‍पादन के लक्ष्‍य की दिशा में लगन से काम करने का आग्रह किया ताकि यह मछली का निर्यात करने में सक्षम हो. कार्यक्रम में जॉर्ज कुरियन, राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथ-साथ सुधांशु दास, मत्स्य पालन मंत्री, त्रिपुरा सरकार और टिंकू रॉय, खेल और युवा मामलों के मंत्री, त्रिपुरा सरकार भी शामिल हुए.

जैविक मछली क्लस्टर होगा विकसित
मंत्री ने कहा कि जल्द ही त्रिपुरा में भी सिक्किम की तरह ही जैविक मछली क्लस्‍टर विकसित किया जाएगा. एकीकृत जल पार्क को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने मछली पालकों को संस्थागत प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया. मछुआरों को मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और पीएमएमएसवाई जैसी सरकारी योजनाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, उन्होंने एनएफडीबी के माध्यम से प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. राजीव रंजन सिंह ने झींगा उत्पादन को बढ़ावा देने, सजावटी मत्स्य पालन को विकसित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने, आसान बाजार पहुंच सुनिश्चित करने और क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों के बारे में भी बात की. इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और स्वीकृति आदेश वितरित किए.

त्रिपुरा में ​मछली पालन में युवाओं को मिलेगा रोजगार
मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने त्रिपुरा में मछली उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि राज्य की लगभग 98 प्रतिशत आबादी मछली खाती है. उन्होंने राज्य की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया. त्रिपुरा सरकार के मत्स्य पालन, एआरडीडी और एससी कल्याण मंत्री श्री सुधांशु दास ने लक्षित उपायों के माध्यम से मछुआरों और मछली किसानों के उत्थान के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. मंत्री ने यह भी बताया कि मत्स्य सहायता योजना के तहत पहचाने गए मछुआरों और मछली किसानों को उनकी आजीविका में सहयोग करने के लिए 6,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता मिल रही है. युवाओं को रोजगार के एक व्यवहार्य साधन के रूप में मत्स्य पालन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में इस क्षेत्र में अत्‍यधिक संभावनाएं हैं जिनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया है. जबकि त्रिपुरा सरकार के खेल और युवा मामलों के मंत्री टिंकू रॉय ने मत्स्य पालन क्षेत्र के उत्थान और त्रिपुरा में मछुआरों की आजीविका को बढ़ाने के लिए निरंतर सहयोग और सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित किया.

Exit mobile version