Fish Farming: नुकसान से बचना चाहते हैं तो मछली बीज को लेकर पढ़ लें ये अहम जानकारियां

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.

तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. किसी भी काम को शुरू करने से पहले उसकी तमाम जानकारी कर लेना बेहद जरूरी होता है. तभी इसमें फायदा होता है. अगर जानकारी मुकम्मल नहीं है तो नुकसान होने का खतरा रहता है. यही चीज मछली पालन के साथ भी है. अगर आप मछली पालन कर रहे हैं और इसकी मुकम्मल जानकारी है तो आपको इसका फायदा मिलेगा. उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग (Uttar Pradesh Fisheries Department) के एक्सपर्ट की मानें तो बहुत से लोग किसी की बातों और दुकानदारों की सलाह पर भरोसा करके बीज खरीद लेते हैं और तालाब में डाल देते हैं जबकि इसमें क्वालिटी नहीं होती है तो फिर नुकसान होता है.

उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग के एक्सपर्ट के मुताबिक इसलिए बेहद जरूरी है कि बीज की क्वालिटी कैसी है, इस बात की मुकम्मल तौर पर जानकारी कर ली जाए. अगर बीज अच्छा है तभी फायदा मिलेगा और मछलियों की ग्रोथ अच्छी होगी.

ये बातें क्यों जरूरी हैं
मछली का बीज तालाब में कितनी मात्रा में डालना है, इसकी जानकारी होना बेहद ही जरूरी है. ज्यादा या कम भी डालने से नुकसान हो सकता है.

इसके अलावा बीज किस साइज का डालना चाहिए, इसकी जानकारी भी मछली पालन में होना बेहद ही जरूरी है.

वहीं मछली पालकों के लिए इसकी जानकारी करना भी बहुत जरूरी है कि मछली पालन में नर्सरी तालाब का क्या महत्व होता है.

कहते हैं कि बीज की क्वालिटी मछली पालन में अहम रोल निभाती है. जिससे आपको मछली पालन में फायदा मिलता है.

अगर बीज खराब है या कुपोषित है या उसमें किसी तरह की बीमारी है तो यह पूरे तालाब के सिस्टम को खराब कर सकती है. पानी में वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है और पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.

ऐसे में नुकसान सिर्फ पैसों के ही नहीं किसान के हौसलों का भी होता है. फिर मछली किसान मछली पालन करना बंद कर देते हैं.

निष्कर्ष
इसका समाधान है कि बीज खरीदने से पहले हैचरी की पूरी जानकारी ले लें. यह भी जानने की कोशिश करें कि वहां बीज को कैसे तैयार किया जा रहा है. उसके बाद ही बीज खरीदें और तालाब में डालें.

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