Poultry: जानें, बैक्टीरिया के अटैक से पोल्ट्री कारोबार को क्या होता है नुकसान, पढ़ें कंट्रोल करने का तरीका

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केज में पाली जा रही हैं मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. मुर्गियों को बाहरी कीड़े बहुत परेशान करते हैं. बाहरी शरीर पर यानि त्वचा और पंख पर ये रहते हैं जिन्हें, जिन्हें बाहरी परजीवी भी कहा जाता है. पोल्ट्री के बीमार दशा, पोल्ट्री फार्म और रहने की जगह पर सफाई की कमी और पोल्ट्री फार्म में भीड़-भाड़ जैसे कुछ कारण की वजह से ये तेजी के साथ बढ़ते हैं. आम मुर्गी परजीवी जैसे जूं, फ्लीस, टिक्स और कीड़े आर्थिक पोल्ट्री कारोबार को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ​इनका निदान करना बेहद ही जरूरी होता है. अब सवाल ये है कि कैसे इनसे छुटकारा पाया जाए तो आप पूरा आट्रिकल पढ़ेंगे तो इसकी जानकारी आपको हो जाएगी.

जूं पक्षियों के सबसे आम कीड़े हैं. मॅनोपोन गैलिने, लिपेरस कपोनिस, गोनियोकॉट्स गैलिने, मिनेकैंथस स्ट्रैमाइनस, क्यूक्लोटोगास्टर हेटरोग्राफा पक्षियों मे पाए जाने वाले जूं की प्रमुख प्रजातियां हैं. जूँ अपनी जिंदगी में कई महीनों तक होस्ट तक ही सीमित रहता है. इसा पोल्ट्री उपकरण, वाहन, आदि के माध्यम और सीधे संपर्क से प्रसार होता है. वे त्वचा के मृत कोशिकाओं और इसके उपशीर्षकों पर खाद्य के लिए निर्भर रहते हैं. जूं पक्षी के शरीर में बहुत तेज चलते हैं. जूं होने पर मुर्गियों को जलन, झुंझलाहट, अंडा उत्पादन में गिरावट और शरीर के वज़न में कमी हो जाती है.

इस तरह करें कंट्रोल
मुर्गियों को जरूरी कीटनाशक के छिड़काव से बाहरी कीड़ों का कंट्रोल किया जा सकता है. मैलाथियोन (2-3%) या लिन्डेन (0.5%) का उपयोग पक्षियों में प्रभावी होता है. फ्लीज़ (इचिडॉफगा गैलेनेसिआ) को तुरंत हटाने और कीटनाशकों के छिड़काव द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. मैलाथियोन (5%) के साथ धोया जाए या फिर इसका छिड़काव (2.5%) किया जाए. वहीं पायरेथ्रोड (0.25%) के साथ छिड़काव संक्रमण के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है.

रात में करता है हमला
टिक्स अकार में बडा होता है और रात के दौरान ​मुर्गियों पर आक्रमण करता है. दिन के दौरान छुप जाता है. आकार में बड़ा होने के कारण वे बड़ी मात्रा में खून चूसते हैं. जिसके कारण उत्पादन में कमी, मौत और गंभीर एनीमिया हो सकता है. घर के दरारों, उपकरणों या पेड़ की छाल में कई महीनों तक बिन खाये छिपे रह सकते हैं. इसलिए जो फार्म संक्रमित हो जाते हैं वहां इसको नियंत्रित करना बहुत कठिन होता है. मैलाथियोन 1 से 3 फीसदी को पोल्ट्री फार्म में और छिपने के स्थान पर छिड़कने से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.

कैसे करें बचाव, जानें यहां
यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आहार और पानी कीटनाशकों से दूषित न हो और इलाज शुरू करने से पहले अंडे एकत्र कर लेने चाहिए. जरूरी बायो सिक्या के उपायों के साथ अच्छी स्वच्छता बनाई रखनी चाहिए. मुर्गियों के विभिन्न झुंडों के बीच कीटनाशकों के साथ कुक्कुट गृहों और उपकरणों की पूरी सफाई और कीटाणु रहित करना चाहिए. रात में चिकनी दीवारें होनी चाहिए और जंगली पक्षियों को बाहर रखने के लिए तार का जाल भी लगाना चाहिए. परिसर में कुक्कुट के भीड़-भाड़ से बचना चाहिए और पीड़ित कुक्कुट को अलग कर तुरंत इलाज किया जाना चाहिए.

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