नई दिल्ली. पोल्ट्री कारोबार तेजी से बढ़ने वाला कारोबार है. देश में पोल्ट्री मीट और अंडों की मांग तेजी के साथ बढ़ रही है. जबकि पोल्ट्री से बनाए जाने वाले तमाम प्रोडक्ट भी बाजार में हैं. पोल्ट्री कारोबारियों को हमेशा ही पोल्ट्री फीड पर ध्यान देना चााहिए, कि जो फीड वे दे रहे हैं वह क्वालिटी से भरपूर है या नहीं. क्योंकि फीड पर ही काफी हद तक पोल्ट्री मीट और अंडों की क्वालिटी भी निर्भर करती है. पोल्ट्री फीड को बनाते समय या फिर खरीदते समय आपको पता होना चाहिए कि इसमें क्या-क्या सावधानी बरतें. आइए इस आर्टिकल में आपको पोल्ट्री फीड के बारे में बताते हैं.
हर एंटी बायोटिक और एंटी कोक्सीडियल का कुछ दिन का समय होता है जिसे पक्षी बेचने से पहले पोल्ट्री फीड से हटाना पड़ता है. अपने देश या जगह के कानून के हिसाब से आप फैसला ले सकते है. पोल्ट्री फीड में डालने वाले हर प्रोडक्ट की एक्सपायरी तारीख जरूर चेक कर लेनी चाहिए. हर प्रोडक्ट हमेशा प्रतिष्ठित कंपनी का ही होना चाहिए. शुरुआत के कुछ दिन आपको क्रंब्स फीड ही उपयोग में लाना चाहिए.
फीड को मिलाने में क्या ध्यान देंः एक तरह के फीड को दूसरे तरह के फीड पर शिफ्ट करने से पहले क्रम्ब्स फीड को मैश फीड के साथ 50-50 फीसदी मिला देना चाहिए. कम से कम यही मिला हुआ फीड 1 दिन देने के बाद ही दूसरी तरह के फीड पर शिफ्ट करना चाहिए. आधारभूत सामान जैसे सोयाबीन की खली ,मक्का ,और तेल खरीदने से पहले गुणवत्ता की अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिए. सामान हर तरह की फंगस से मुक्त और सूखा होना चाहिए. खरीद करते समय सख्त पैमाने का उपयोग करना चाहिए. मक्की में नमी 14 प्रतिशत से कम और सोयाबीन की खली में लगभग 11 प्रतिशत तक ही बेहतर है.
मांस में होता है इजाफाः कभी भी पोल्ट्री फार्म पर फीड इकट्ठा करने के लिए किसी अन्य स्थान पर उपयोग हुई पुरानी बोरियां नहीं खरीदनी चाहिए. हमेशा नई बोरिया ही खरीदें, ताकि किसी अन्य स्थान की बीमारी आपके पोल्ट्री फार्म पर ना आ जाए. आप जो भी फीड प्रीमिक्स उपयोग में ला रहे है. अगर उसमे सेलेनियम, बायोटिन और क्रोमियम विटामिन C या विटामिन E नहीं है, तो आप अलग से फीड में निर्माता कंपनी के बताए डोज के हिसाब से जरूर मिलाएं. अगर पक्षी गर्म जगह या अति गर्मी में पाला जा रहा है, निर्माता कंपनी के बताए गए डोज के हिसाब से तो बीटेन भी फीड में मिलाए. बीटेन पक्षी के मांस और सीने में मांस की में वृद्धि भी करता है.