नई दिल्ली. पोल्ट्री में एवियन इन्फ्लुएन्जा (बर्ड फ्लू), गुम्बोरो रोग, न्यूकैसल रोग (रानीखेत रोग), इन्फेक्सियस ब्रोन्काइटिस, लीची रोग, सीआरडी, कोलीबेसिलोसिस इत्यादि रोगों का प्रकोप देश के अनेकों प्रदेशों में देखा गया है, जिसके कारण पोल्र्टी सेक्टर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि पोल्ट्री में बीमारियों की रोकथाम के तरीके अपनाये जायें जो कारगर साबित होने के साथ-साथ आसानी से अपनाये जा सकें. उपचार से बचाव ही बेहतर है. यानि पोल्ट्री को बीमारियों के प्रकोप से बचाने के लिए पहले से अपनाये हुए उपाय बीमारी आने के बाद उपचार करने से अधिक प्रभावी होते हैं.
पोल्ट्री में बीमारी का प्रकोप होने पर उनके नियंत्रण में अत्यधिक धन खर्च करना पड़ता है तथा इसके साथ-साथ पोल्ट्री में अत्यधिक अस्वस्थता एंव मृत्युदर होने से पोल्ट्री पालकों को बहुत अधिक हानि उठानी पड़ती है. इसलिए समय रहते पोल्ट्री को बीमारियों से बचाने के लिए उपाय अपनाने की सख्त अवश्यकता है. प्रभावी जैव सुरक्षा प्रणाली के तहत कुक्कुट फार्म में आने वाले, वाहनों, कर्मचारियों तथा संक्रमण के अन्य वाहकों का नियंत्रित करना चाहिए. जो बीमारियों के बचाव का एक कारगर एंव सस्ता उपाय माना गया है.
फार्म में आवाजाही पर प्रतिबंध
पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले मजदूरों और पक्षी चिकित्सा सेवा प्रदाताओं को छोड़कर अन्य सभी का फार्म परिसर में प्रवेश न करने दें.
फार्म क्षेत्र में मुख्य द्वार के पास कार्यालय एंव जैव-सुरक्षा सम्बन्धित उपकरण और अन्य सामग्री के लिए स्टोर रूम बनाना चाहिए.
पोल्ट्री फार्म के द्वार पर मेहमानों के बारे में विवरण सम्बन्धी रजिस्टर इत्यादि होने चाहिए. जिसमें उनके बारे में जानकारी दर्ज की जा सके तथा फार्म में भ्रमण करने से पूर्व सभी जैव-सुरक्षा उपाय अपनाने हेतु निर्देश बताने सम्बन्धित सूचना पट में दर्ज निर्देश पालन किये जा सके.
फार्म द्वार के आस-पास ही मेहमानों के लिए स्नान कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए. वहीं नहाने के बाद फार्म के लिए बने कपड़े पहनने के लिए कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए.
फार्म के मुख्य द्वार पर ही स्टोर रूम में एप्रन आदि रखे रहने चाहिए, जो प्लास्टिक के बने होने चाहिए, जिसमें पानी का प्रवेश न हो सके.
फार्म में कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए साफ एवं सुरक्षित आवरण जैसे स्वच्छ कपड़े, मास्क, टोपी तथा जूते का प्रावधान होना चाहिए.
पोल्ट्री फार्म में विभिन्न प्रजातियों की देखभाल हेतु अलग-अलग कुशल कर्मचारियों को तैनात करना चाहिए.
फार्म में अन्य लोगों, वाहनों, जंगली पशुओं आदि के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए बाड़ा या दीवार का प्रावधान होना चाहिए.
विभिन्न प्रजातियों के लिए श्रमिक को कम से कम 24 घन्टे के अन्तराल के बाद ही अनुमति होनी चाहिए, यदि बहुत आवश्यक है.
फार्म की संरचना इस तरह से बनाई जानी चाहिए, जिसमें केवल एक प्रवेश द्वार एवं एक ही बाहर निकलने का दरवाजा हो.