नई दिल्ली. मक्का की तैयार हो चुकी फसल को अब धूप में सुखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब बेहद ही आसानी के साथ अनाज को सुखाया जा सकता है और फिर उसे स्टोर भी किया जा सकता है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना को अपने पोर्टेबल मक्का ड्रायर के लिए पेटेंट (पेटेंट संख्या 507172) प्रदान किया गया है, जिसे प्रोसेसिंग और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग ने डॉ. गुरसाहिब सिंह की सहयोग से डिजाइन किया है. इसकी डिजाइन डॉ. महेश कुमार और डॉ. सतीश कुमार ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया था और इसे पीएयू के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत एनयू टेक डेयरी इंजीनियर्स, अंबाला द्वारा निर्मित किया गया था.
इस बारे में डॉ. नारंग ने बताया कि ड्रायर ट्रॉली प्लेटफॉर्म पर लगाया गया है, पोर्टेबल और अत्यधिक कुशल है, जो इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है. खासतौर उन जगहों केे लिए जहां अनाज सुखाना एक चुनौती है. “3 टन प्रति बैच की क्षमता के साथ, यह ताजी कटाई की गई मक्का की नमी को 25 फीसदी से 14 फीसदी तक प्रभावी रूप से कम करता है, जिससे सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित होता है.
एक घंटे में लगता है 3 लीटर फ्यूल
इसे 35 एचपी ट्रैक्टर पीटीओ या 15 किलोवाट बिजली सोर्स से चलाया जा सकता है. सुखाने की इकाई में तीन-पास अप्रत्यक्ष हीटिंग डीजल से चलने वाली भट्टी है, जो प्रति घंटे 3-4 लीटर डीजल की खपत करती है. वीएफडी सिस्टम, अपशिष्ट ताप वसूली इकाई, स्वचालित तापमान नियंत्रण (50 डिग्री सेल्सियस-90 डिग्री सेल्सियस) और एक लौ-आधारित ऑप्टिकल सेंसर सहित आधुनिक नियंत्रकों के साथ डिज़ाइन किया गया, ड्रायर सटीक हीटिंग और ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करता है.
2017 में मिली थी मंजूरी
डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि पीएयू पोर्टेबल मक्का ड्रायर दिसंबर 2016 से सफल फील्ड परीक्षण से गुजर रहा है. इसे लगातार तीन वर्षों तक राजपुरा नई अनाज मंडी में प्रदर्शित किया गया, जहां पीएयू ने अपने खर्च पर किसानों के लिए मक्का के दाने को सुखाने के लिए इसका संचालन किया है. सूखे मक्के ने लगातार 90 फीसदी से अधिक अंकुरण गुणवत्ता दिखाई, जो इसकी प्रभावशीलता को साबित करता है. पीएयू अनुसंधान मूल्यांकन समिति ने 2017 में इस तकनीक को मंजूरी दी थी, जिसमें कुशल, मोबाइल और लागत प्रभावी अनाज सुखाने के समाधान प्रदान करके फसल कटाई के बाद सुखाने की प्रथाओं को बदलने की इसकी क्षमता को मान्यता दी गई थी.
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