नई दिल्ली. भारत कृषि प्रधान देश होने की वजह से ज्यादातर लोगों का आर्थिक जीवन पशुधन पर भी आधारित है. अब देश में बड़े पैमाने पर पशु पालन किया जा रहा है. पशु पालन से जुड़कर लोग लाखों रुपये प्रतिमाह की कमाई कर रहे हैं. मगर, कभी-कभी छोटी सी गलती या लापरवाही इतना बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचा देती हैं. ये नुकसान सबसे ज्यादा बरसात के मौसम में होता है. इसलिए बरसात से पहले ही डेयरी फार्मर को पशुओं की देखभाल बढ़ा देनी चाहिए, जिससे आर्थिक नुकसान उठाने से पहले ही संभल लिया जाए. देश में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर बाढ़ आने से पशुओं को काफी नुकसान होता है. इसलिए बाढ़ आने से पहले ही अगर किसान बाढ़ से बचाव के प्रबंधन कर लेंगे तो पशुओं को मरने से बचाया जा सके. समय रहते सकारात्मक उपाय अपनाना बेहद जरूरी है. इसलिए बाढ़ आपदा से पहले डेयरी पशुओं को सकारात्मक उपाय अपनाने चाहिए.
देश की अर्थव्यवस्था में पशुपालन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो पशुपालन से होने वाली इनकम किसान, पशुपालकों को आत्मनिर्भर भी बनाने लगी है. सरकार भी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. मगर, कभी-कभी पशु पालने के प्रबंधन में ऐसी गड़बड़ी हो जाती है कि पशु मर तक जाते हैं. जिससे किसान व पशुपालकों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. अगर हम बरसात में कुछ सरल से तरीकों को अपना लें तो मृत्यु की दशा में हम बड़े नुकसान से बच सकते हैं. बाढ़ आपदा में डेयरी पशुओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. हरियाणा पशु विज्ञान डॉ. ज्योति केंद्र लुवास महेंद्रगढ़ की विस्तार शिक्षा वैज्ञानिक डॉ. ज्योति गुंठवाल ने बताया कि पशुपालक के लिए ये टिप्स पशुओं का ध्यान रखने में मदद करेंगे. नीचे दिए जा रहे बिंदुओं का गौर स पढ़ें और अपने पशुपालन में इन्हें आजमाकर देखें…
मानसून से पहले इन पर जरूर दें ध्यान
सुरक्षित स्थानः
बाढ़ के खतरे के चलते पशुओं को सुरक्षित स्थान पर रखें. उनके लिए अच्छे शेल्टर की व्यवस्था करें. जैसे स्थानीय प्रकृतिक आवास, बाड़ों, खेतों या पशुशाला में ठहराएं.
पानी व चारे की व्यवस्थाः
बाढ़ में पेयजल बह जाता है. डेयरी पशुओं को पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, जिससे पशुओं को फ्रेश पानी मिले, क्योंकि बाढ़ के दौरान पानी दूषित हो जाता है, जिसे पीने से पशु बीमार हो सकते हैं.
पौष्टिक आहार दें:
पशुओं को सही व पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराएं. उन्हें अच्छे ग्रेस, चारा, गहरा आदि के साथ पौष्टिक आहार दें. बाढ़ के दौरान खेतों में पानी भर जाता है. ये जलभराव एक दो दिन नहीं बल्कि कई दिनों तक रहता है, जिससे चारा सड़ जाता है. अगर इस सड़े चारे को पशुओं को खिला दिया तो पशु बीमार हो सकते हैं और दूध उत्पादन में भी कमी हो सकती है.
चिकित्सा देखभालः
बाढ़ के समय पशुओं के लिए विशेष चिकित्सा व्यवस्था करें. उचित टीकाकरण व इलाज उपलब्ध कराएं. नियमित रूप से वेटरनरी डॉक्टर से स्वास्थ्य चेकअप करवाएं.
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