नई दिल्ली. “गो सेवा से समृद्धि” योजना के तहत उत्तर प्रदेश में पहली बार पंचगव्य से ब्यूटी प्रोडक्ट, जैविक कीटनाशक और बायोगैस जैसे इनोवेशन को शामिल करके ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. जिसके तहत प्रदेशभर में कई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं, जो पारंपरिक आस्था को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के नए अवसर प्रदान करेंगी. पंचगव्य से स्किन केयर बनाने, बायोगैस से वाहन चलाने और जैविक उत्पादों से हरित खेती की परिकल्पना को अब सीएम योगी के नेतृत्व में साकार किया जा रहा है.
सरकार का कहना है कि प्राथमिक स्तर पर अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, चित्रकूट, कानपुर, आगरा, बरेली, झांसी से इसकी शुरुआत होने जा रही है. प्रदेश के 08 जिलों में इस तरह शुरू हो रहे इनोवेशन आधारित परियोजनाएं प्रदेश भर में कई नई खोज पर आधारित परियोजनाएं प्रारंभ की जा रही हैं. ये परियोजनाएं गोवंश संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण नवाचार को नई पहचान दिलाएंगी.
कहां क्या बनेगा
गोरखपुर– ड्यूल फीड बायोगैस संयंत्र की स्थापना
आगरा– पंचगव्य आधारित स्किन केयर यूनिट
अयोध्या– जैविक कीटनाशक निर्माण इकाई
बरेली– बायो फेंसिंग एवं सोलर शेड परियोजना
चित्रकूट– बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए चारा बैंक
कानपुर– ‘अर्बन काऊ एडॉप्शन’ मॉडल
वाराणसी– गंगा बेसिन कार्बन ऑफसेट प्रोजेक्ट
झांसी– कैक्टस आधारित मिक्स्ड बायोगैस अनुसंधान केंद्र
जानें क्या है टारगेट
प्रदेश की 75 चयनित गोशालाओं में प्रति वर्ष 25 लाख रुपए की खुद की कमाई की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है.
यह नवाचार किसानों और पशुपालकों के लिए एक स्थायी आर्थिक मॉडल प्रस्तुत करेगा. इससे गोशालाएं सिर्फ संरक्षण केंद्र नहीं, बल्कि उत्पादन और शोध केंद्र के रूप में कार्य करेंगी।
मुख्यमंत्री के ग्राम-ऊर्जा मॉडल से गांवों की सूरत बदलने जा रही है. गांवों में बायोगैस संयंत्र, पंचगव्य आधारित उत्पादों और जैविक खाद-कीटनाशकों के संयंत्र स्थापित कर स्वच्छ ऊर्जा, कृषि सुधार और रोजगार का नया रास्ता खोला जाएगा.
बायोगैस के जरिए वाहन चलाए जा सकेंगे. इसकी पूरी कार्ययोजना बनाई जा रही है. इससे एलपीजी की खपत में कमी आएगी और पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी.
सीएम योगी ने स्पष्ट किया है कि गो सेवा को अब सिर्फ परंपरा से हटकर आर्थिक विकास, नवाचार और पर्यावरणीय संतुलन से भी जोड़ा जाएगा.
इससे उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भरता की राह पर और मजबूती से आगे बढ़ेगा.
गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि पंचगव्य आधारित उत्पादों के निर्माण से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
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