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Animal Husbandry: पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट है ये हरा चारा, दूध उत्पादन बढ़ाने, बीमारी रोकने में भी है कारगर

Emphasis on the use of AI in disease surveillance and the need for vaccines to prevent diseases in animals: Rupala, Live Stock News
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नई दिल्ली. सर्दियों में इंसानों के साथ-साथ दुधारू पशुओं को भी ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है. ऐसे में गाय भैंस जैसे तो दुधारु पशुओं को विशेष आहार दिया जाना चाहिए. दुधारू पशुओं का आहार में आप कई तरह की चीजों को शामिल कर सकते हैं. हालांकि कृषि वैज्ञानिकों की माने तो एक ऐसा हरा चारा है, जो पशुओं की सेहत को सर्दियों में बेहतर बनाए रखने में मदद करता है. सर्दियों के मौसम में बीमारी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. जिसका सीधा असर उनके दूध उत्पादन पर होता है. पशु बीमार होने की स्थिति में कम दूध देने लगते हैं. जिससे किसानों को नुकसान होता है. ऐसे में किसानों को चाहिए कि इस मौसम में पशुओं को विशेष ध्यान रखें और उनके आहार में पौष्टिकता से भरपूर चारे का इस्तेमाल करें. ताकि दूध उत्पादन में कमी ना हो बल्कि बढ़ जाए.

पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक
पशुओं की एक बहुत ही पौष्टिक चारा है, जिसको उनके लिए ड्राई फ्रूट माना जाता है. इसके उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. पशु उन्हें बहुत ही आसानी के साथ खाते हैं. इसकी खास बात यह है कि यह सेहत सही रखने के साथ ही उनकी कमजोरी को भी दूर करता है. या एक जलीय फर्न. इसी किस भी जगह आसानी से उगा भी सकते हैं. आमतौर पर अजोला को धान की खेती के साथ ही उगाया जाता है. यह तेजी से बढ़ाने वाली घास है. अजोला एक ऐसा उर्वरक, जिससे धान की उपज तो बढ़ती है साथ ही पशुओं के लिए पोशक चारा भी तैयार हो जाता है. अजोला पशुओं के लिए पौष्टिक आहार है. जिसे पशु को खाना पसंद करते हैं. इससे दूध की क्षमता बढ़ती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अजोला पर 25% से अधिक प्रोटीन पाया जाता जो पशुओं के हिसाब से बहुत सटीक है.

पशुओं की बीमारियों को भी दूर करता है
खास बात यह है कि अन्य आहार की अपेक्षा काफी सस्ता है. या चारा पशुओं के लिए सुपाच्य और पौष्टिक भी है. इसमें बहुत सारी विशेषताएं भी पाई जाती हैं. यह चार पशुओं में बांझपन की समस्या को भी दूर करने में मददगार साबित हुआ है. अजोला खिलाने से उनके दूध में वसा ज्यादा पाई जाती है. जबकि सामान्य आहार खाने वाले पशुओं में कम. पशुओं में पेशाब में खून आने की समस्या यह चारा दूर करता है. क्योंकि इसमें फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है. जिससे पशु की फास्फोरस की कमी को दूर होती है. बता दें कि पशु के शरीर में फास्फोरस की कमी कारण ही उनकी पेशाब में खून आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

कैसें करें अजोला की खेती
अजोला की सबसे अच्छी Junwer 29 मानी जाती है. इससे अधिक लाभ मिलता है. धान की रोपाई के बीच से 25 दिन बाद इसे खेतों में डाल सकते हैं. एक बार डालने के बाद आसानी से यह पूरे खेत में फैल जाता है. यह धन के लिए लिए भी हरी खाद का काम करती है और धान का उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक होती है. वही अजोला चारे को किस खाली जगह पर लगा सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले एक छायादार जगह का चयन करना होगा. 60 फुट लंबी 10 फीट चौड़ी जगह होनी चाहिए. अब इस जगह पर 2 फीट गहरी क्यारियां तैयार कर लें. इन क्यारियों में कम से कम 120 गज की सिलपुटिन शीट लगाई जाती है. इसके बाद क्यारी में करीब 10 किलोग्राम उपजाऊ मिट्टी बढ़ा देनी चाहिए. फिर 15 लीटर पानी में 5 से 7 किलोग्राम पुराने गोबर को मिलाकर घोल बना लें. क्यारी को 500 लीटर पानी में भर दें. इसकी गहराई 12 सेंटीमीटर से 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. उसके बाद अजोला की बुवाई करना शुरू करनी चाहिए.

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