नई दिल्ली. पशुपालन में अगर आप गाय या फिर भैंस पालते हैं तो आपकी ये कोशिश होती है कि पशु ज्यादा से ज्यादा दूध का प्रोडक्शन करे. क्योंकि पशु जितना ज्यादा दूध का प्रोडक्शन करेगा, मुनाफा उतना ज्यादा होगा. यही वजह है कि बहुत से पशुपालक दूध में पानी भी मिलाते हैं लेकिन इस दूध लेने वाले उसका दाम भी कम देते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालकों को ये कोशिश करनी चाहिए कि पशु ज्यादा और क्वालिटी वाला दूध प्रोडक्शन करे. ताकि उस दूध का दाम भी ज्यादा मिले. क्योंकि जिस दूध में फैट और एसएनफ ज्यादा होगा उस दूध का दाम बाजार में ज्यादा मिलेगा.
आपको ये भी बताते चलें कि देश के कई ऐसे इलाके हैं जहां सूखा पड़ता है. पशुओं के लिए न तो प्रर्याप्त हरा चारा उपलब्ध होता है न ही भरपूर पानी. अगर ज्यादा संख्या में पशु पाला जाए तो पशु ज्यादातर नदी और तालाब के पानी पर निर्भर करते हैं लेकिन सूखे इलाके की वजह से गर्मी में नदी और तालाब के पानी सूख जाते हैं. इसके चलते पशुओं को पानी पिलाने के लिए दूसरे सोर्सेज का इस्तेमाल करना पड़ता है. हालांकि इन इलाकों में ऐसे पशु को पाला जाए तो इस तरह की परिस्थिति से जूझकर अच्छा प्रोडक्शन दें तो फिर पशुपालकों को इससे खूब फायदा होगा. आइए ऐसी ही एक भैंस की नस्ल के बारे में जानते हैं.
घर जाकर देती है दूध
टोडा नस्ल की भैंस इसी तरह की नस्ल मानी जाती है. यह नस्ल तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र मे पाई जाती है. इसके बारे में एक्सपर्ट कहते हैं कि टोडा नस्ल की भैंस की ये खूबी है कि इसमें सूखे के प्रति अधिक सहनशील होती है. इस नस्ल के पशु किसान के घर जाकर ही दूध दे देते है. यह इनकी एक अलग ही विशेषता है. इस वजह से भी बहुत से पशुपालक इस नस्ल की भैंस को पालते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक डेयरी उद्योग के लिए ये अच्छी नस्ल है.
कितना देती है एक ब्यात में दूध
वहीं इसकी पहचान की बात की जाए तो इसका रंग हल्का व गहरा ग्रे रंग लिए हुए होता है. इसका चेहरा चौड़ा व उभरा हुआ होता है. इसके सींग लम्बे व अर्धगोलाकार होते हैं. इसका शारीरिक आकार मध्यम होता है. पूंछ लम्बी व सिरे पर काला गुच्छा होता है. इस भैंस की पहली ब्यात पर उम्र 45-47 महीने होती है. ब्यात अन्तराल की बात की जाए तो औसतन 480 दिन का होता है. इसका दूध उत्पादन 305 दिन का औसतन 700 किलोग्राम होता है. वह दूध कल औसतन 250 दिन का होता है.
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