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Fish Farming: 10 साल में मछली की खपत में दोगुना से ज्यादा की ग्रोथ, यहां पढ़ें क्या कहते हैं आंकड़े

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत में कोरोना के बाद से लोग अपनी हैल्थ को लेकर बहुत एहतियात बरतने लगे हैं. भारतीय ऐसे फूड खाने पर ज्यादा तवज्जो दे रहें हैं जो उनकी हैल्थ के लिए अच्छा हो. शायद यही वजह है कि भारत में प्रति व्यक्ति मछली की खपत में बहुत बड़ी ग्रोथ दर्ज की गई. इसमें दोगुना से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है. न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली में प्रोटीन, विटामिन, और ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं. ये सभी तत्व दिल के लिए फायदेमंद होते हैं. वहीं मछली में कैल्शियम, फ़ॉस्फोरस, आयरन, ज़िंक, आयोडीन, मैग्नीशियम, और पोटैशियम जैसे खनिज भी पाए जाते हैं. जबकि मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, हृदय रोग के जोखिम को कम करता है.

शायद यही वजह है कि लोग मछली खाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. वहीं मछली का मीट बेहद ही टेस्टी भी होता है. अब बात की जाए सरकारी आंकड़ों की तो मछली के उत्पादन और उपलब्धता में जबरदस्त ग्रोथ हुई है. घरेलू मछली की खपत जो 2013-14 में 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति साल से कम थी जो अब बढ़कर 13.1 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है. वहीं भारत सरकार की मंशा के मुताकि मत्स्यपालन विभाग ने आने वाले वक्त में इस परसेंटेज को और ज्यादा बढ़ाने की बात कही है. कहा जा रहा है कि सरकार मछली की खपत 20 किलोग्राम प्रति व्यक्ति से अधिक करने की योजना पर काम कर रही है.

10 साल में हुई जबरदस्त ग्रोथ
बताते चलें कि मछली सेक्टर ने हर तरह से फायदा पहुंचाया है. आंकड़ों के मुताबिक मछली पालन क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होकर राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है. भारत में फिशरीज क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2021-22 (स्थिर मूल्यों पर) की अवधि के दौरान 8.61 फीसदी की वार्षिक औसत ग्रोथ दर्ज कराई है. वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान, मत्स्य पालन क्षेत्र का जीवीए वित्त वर्ष 2013-14 में 76,487 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,47,518.87 करोड़ रुपये हो गया है. इस सेक्टर का राष्ट्रीय GVA में योगदान वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले 0.844 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में 1.069 परसेंट तक हो गया है.

मछुआरों और मत्स्य पालकों केसीसी की सुविधा
वहीं भारत सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 से मछुआरों और मत्स्य पालकों को केसीसी सुविधा प्रदान की है, ताकि उन्हें अपने काम में रुपये की जरूरत पड़े तो इसकी मदद से वो पूरा कर सकें. रुपयों की कमी की वजह से अपने कारोबार को उन्हें रोकना न पड़े. घर-घर केसीसी अभियान, विकसित भारत संकल्प यात्रा, प्रत्येक ग्राम पंचायत में सूचना का प्रसार, जागरूकता बढ़ाने और सेवाओं का विस्तार करने आदि के लिए शुरू किया गया है. इसके नतीजे में मछुआरों और मत्स्य पालकों के लिए 2687.20 करोड़ रुपये की लोन राशि के साथ कुल 4.32 लाख केसीसी को अब तक मंजूरी दी गई है.

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