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Poultry Farming: इस बीमारी की वजह से एक जगह इकट्ठा हो जाती हैं मुर्गियां, महसूस करती हैं कमजोरी

UP Government on alert mode even before the threat of bird flu, issued these instructions
प्रतीकात्मक फोटो, Live stock animal news

नई दिल्ली. मुर्गियां इस बीमारि से बचाने के लिए सबसे जरूरी ये है कि मुर्गी पालक को मुर्गियों के बीमार होने पर इसका तुरंत पता चल जाए. हालांकि ऐसा तभी संभव हो सकेगा, जब मुर्गी पालकों को मुर्गियों की बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी रहेगी. लक्षण को जानने के बाद वो इसका इलाज करा सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि मुर्गियों की बीमारी, उसके लक्षण और इलाज के बारे में मुर्गी पालक पता कर लें. एक्सपर्ट का कहना है कि मुर्गियों में पुलोरम रोग, जिसे बैसिलरी व्हाइट डायरिया के नाम से भी जाना जाता है, एक खतरनाक जीवाणु संक्रमण है. ये मुर्गियों में खतरनाक बीमारी मानी जाती हे.

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि यह बीमारी साल्मोनेला एंटरिका पुलोरम बैक्टीरिया के कारण होती है. ये मुख्य रूप से युवा मुर्गियों और टर्की को प्रभावित करती है, लेकिन बड़ी मुर्गियों और अन्य घरेलू पक्षियों को भी प्रभावित कर सकता है. प्रभावित पक्षी गर्मी के सोर्स के पास झुंड बनाते हैं. इस बीमारी में अक्सर मुर्गियों को भूख कम लगती है. उन्हें कमजोरी या अवसाद हो जाता है. जबकि सफेद दस्त भी शिकायत रहती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि वेंट क्षेत्र में सफेद मल पदार्थ चिपका होता है. सांस रोग, अंधापन या जोड़ों में सूजन हो सकती है. आपको बता दें कि ये बातें आपको सिर्फ जानकारी देने के लिए बताई जा रही हैं. बेहतर ये है कि इलाज से पहले पेशेवर डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.

पुलोरम रोग के बारे में जानें
यह तेजी से फैलने वाला भयंकर संक्रामक रोग है, जिससे चूजों में 50-100 फीसदी तक मृत्यु हो सकती है. इसमें भूख-प्यास की कमी एवं लसीले चिपकाऊ दस्त हो जाते हैं.

कारण
यह रोग सालमोनेला नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है.

प्रसार
यह रोग इस बैक्टीरिया से ग्रसित अंडों द्वारा प्रसारित होता है.

संक्रमित बीट द्वारा, प्रदूषित अंडे के छिलकों से यह रोग फैलता है.

रोग ग्रसित मुर्गियों के सम्पर्क से भी दूसरी मुर्गियों में हो जाता है.

प्रदूषित दाना-पानी या लिटर द्वारा इस रोग का प्रसार होता है.

लक्षण
चूजों को प्यास अधिक लगती है. मुर्गियां फीड नहीं खाती हैं.

सांस लेते समय हांफते हैं और अधिकतर चूजे ऊंघते हुए महसूस होते हैं.

रोगी पक्षियों के पंख बिखरे बिखरे व लटके रहते हैं और कॉम्ब पर पीलापन सफेद भूरे दस्त लग जाते हैं.

गुदा के पास मल लगा हुआ दिखाई देता है. मल त्याग के दौरान पक्षी का दर्द से चिल्लाना शुरू कर देते हैं.

पक्षी ब्रूडर में एक जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं.

उपचार क्या है
सबसे पहले तो ये काम करें कि चूजे ऐसी हैचरी से लेने चाहिये, जो पुलोरम जीवाणु से मुक्त रहें.

कीटाणुनाशन प्रक्रिया को अपनाये. बीमारी आने के बाद पशु चिकित्सक की सलाह से उपचार कराये.

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