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Dairy Animal: डेयरी फार्म की सफाई में किस जगह पर कौन सा केमिकल करना चाहिए इस्तेमाल, जानें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालकों को पशुओं की बीमारी से बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. जानकारी के अभाव में पशुओं को बीमारी घेर लेती है. इसके नतीजे में पशुपालन फायदा की जगह पशुपालकों को घाटा होने लग जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालकों को पशु को बीमारी से बचाने की हर मुमकिन कोशिश करना चाहिए. ऐसा करने से पशुओं की सेहत अच्छी रहेगी तो वो ज्यादा मिल्क प्रोड्यूस करेंगे. इससे पशुपालकों के पास ज्यादा दूध होगा और उसकी क्वालिटी भी अच्छी होगी और उन्हें इसका अच्छा दाम मिलेगा और नतीजे में पशुपालकों को फायदा ही फायद होगा. वहीं पशुशाला में समय-समय पर केमिकल डिसइंफेक्शन करना चाहिए. हालांकि सभी जर्म एक ही डिसइंफेक्शन से खत्म नहीं होते हैं. डिसइंफेक्शन की वजह से आर्गेनिक चीजों की मौजूदगी काफी कम हो जाती है.

इसलिये इनके इस्तेमाल से पहले सफाई की जरूरत होती है. किसी भी डिसइंफेक्शन का अच्छी क्वालिटी यह है कि वह बीमारी पैदा करने वाले जर्म को मार सके, आर्गेनिक चीजों की उपस्थिति में टिकाऊ रह सके. पानी में जल्दी घुलकर घोल में ही बना रहे और पशुओं के लिए जहरीला न होने दे. डिसइंफेक्शन के अन्दर जल्दी घुल सके, गन्दगी और चर्बी को हटा सके और उपयोग करने में किफायती हो. एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं के रहने के स्थान का डिसइंफेक्शन काफी मेहनत का काम है और इसका इस्तेमाल दिनचर्या की तरह नहीं किया जा सकता है. आमतौर पर हर दिन पशु आवास खुरचकर धोने से और सूरज की किरणें मकान के अन्दर पहुंचने से मकानों को बैक्टीरिया फ्री बनाया जा सकता है लेकिन जब बीमारियां फैली हो उस समय विसंक्रमण अति आवश्यक होता है.

इन केमिकल का होता है इस्तेमाल

  1. धोने का सोडा (सोडियम कार्बोनेट): 4 प्रतिशत घोल उबलते हुये पानी में घोल कर एक असरदार सफाई करने वाली वस्तु के रूप में बरतन और फर्श की धुलाई में इस्तेमाल किया जाता है.
  2. चूना: ताजा चूना अधिकतर फर्श, दीवारों और जमीन पर छिड़काव करने के काम आता है जिससे डिसइंफेक्शन किया जा सके. चूने का घोल ज्यादातर मकानों के अन्दर इस्तेमाल में लाया जाता है.
  3. कॉस्टिक सोडा 1-5 प्रतिशत घोल, स्पोर्स, फर्श, नालियां और अन्य सामान की सफाई में इस्तेमाल होता है.
  4. ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव के लिये, फर्श, जमीन और दीवारों पर छिड़कने के काम में लाया जाता है.
  5. पोटेशियम परमॅगनेट 1:10,000 घोल पानी में फर्श, नालियों और नादों के लिये इस्तेमाल होता है.
  6. कार्बोनिक एसिड 1-2 प्रतिशत घोल मेटल के उपकरणों व कपड़ों के लिये उपयोग होता है.
  7. फार्मलीन: 2-5 प्रतिशत पानी में घोल कर घर अन्दर घुमण (फ्यूमिगेशन) के लिये प्रयोग होता है.
  8. आयोडीन 2-5 प्रतिशत घोल अल्कोहल में त्वचा के घाव और कटने के स्थान पर उपयोग किया जाता है।

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  1. क्रिस्टल वाइलेट 2 प्रतिशत घोल त्वचा के घाव व कटी हुई जगह पर लगाने के लिये प्रयोग होता है।
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