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Technology: डिब्बा बताएगा ​मिठाई ताजी है या बासी, NDRI ने तैयार की ये टेक्नोलॉजी, पढ़ें डिटेल

Why did NDRI say, separate AI department is needed for research and development activities
NDRI. Photo courtesy ADRI.

नई दिल्ली. पैकेटबंद मिठाई की क्वालिटी चेक करना आसान हो गया है. डिब्बा ही बता देगा कि मिठाई ताजी है या बासी. मतलब मिठाई खाने लायक है या नहीं. दरअसल, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने (NDRI) ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि मिठाई खाने से कहीं सेहत तो नहीं खराब हो जाएगी. हालांकि संस्थान को अभी इस बात का इंतजार है कि कोई कंपनी इस टेक्नोलॉजी को उसने खरीदे और फिर मिठाई बनाने वाली कंपनियों इसका इस्तेमाल करें. हो सकता है इसमें समय लगे कि लेकिन ये टेक्नोलॉजी मार्केट में आने से आम जनता को फायदा होगा.

NDRI के डॉ. राजन शर्मा ने बताया कि संस्थान की ये भी कोशिश है कि विदेशों में भारतीय मिठाइयों की खपत बढ़े और एक्सपोर्ट ज्यादा हो. क्योंकि विदेशों में खाद्य पदार्थ को लेकर नियम बहुत सख्त हैं. ऐसे में NDRI की ओर से बनाई गई ये टेक्नोलॉजी इसको लेकर भी काफी कारगर साबित हो सकती है. आपको बता दें कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक स्मार्ट पेपर स्ट्रिप तैयार की है, जिसकी मदद से दूध से बनने वाली मिठाइयों की क्वालिटी की जांच रियल टाइम की जा सकती है. भारत कई देशों को दूध से बनी मिठाइयां निर्यात भी करता है. इसमें मिल्ककेक सबसे प्रमुख. भारत से इंस्पोर्ट मिठाइयों के निर्यात में विश्व में तुर्किये के बाद भारत का दूसरा स्थान है. जबकि उत्पादन में भारत का विश्व में पहले स्थान पर लेकिन तकनीकी मजबूत न होने के कारण दूध से बने उत्पादों के निर्यात में पीछे है.

डिब्बे में होगी स्ट्रिप
डॉ. राजन शर्मा ने बताया कि संस्थान ने जो स्मार्ट पेपर स्ट्रिप इजाद की है. ये मिठाई के डिब्बे के अंदर लगाई जाएगी. ये मिठाइयों को छुएगी भी नहीं और मिठाई खराब होते ही अपना रंग बदल देगी. जिसके बाद डिब्बे के ऊपरी हिस्से पर बने ट्रांसपेरेंट हिस्से से देखा जा सकेगा. इससे कस्टमर को पता चल जाएगा कि मिठाई अब खाने लायक नहीं है. इतना ही नहीं फ्रेश, गुड, रिस्की और स्पॉयल्ड यानी खराब की स्थिति में होने का भी इशारा ये पेपर स्ट्रिप करेगी. फिलहाल NDRI अपने उत्पादों में इस स्ट्रिप का प्रयोग कर रहा है. जल्द इसे बाजार में उतारा जाएगा. बताते चलें कि मांसाहारी प्रोडक्ट की जांच के लिए इस तरह की तकनीक विदेश में हैं लेकिन ये भारतीय मिठाई सेक्टर के लिए महंगी है. इसको देखते हुए ये टेक्नोलॉजी बनाई गई है ता​कि कम कीमतों में आम जनता को ​अच्छा प्रोडक्ट खाने को मिले.

जानें कब रंग बदलेगी पेपर स्ट्रिप
गौरतलब है कि भारतीय बाजारों में कई बड़ी कंपनियां अपनी पैक्ड मिठाइयां बेचती हैं, जिसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. ये मिठाइयां क्वालिटी के साथ बनाई गईं हैं या नहीं या ये कहीं खराब तो नहीं हो गईं, आम जनता के लिए इसकी पहचान करना इस नई पेपर स्ट्रिप टेक्नोलॉजी से आसान हो गया है. हालांकि अभी पैकेटबंद मिठाई पर एक्सपायरी डेट लिखना होता है लेकिन जब यह स्ट्रिप इंस्टाल हो जाएगी तो इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी. डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि पैक्ड ​प्रोडक्ट की क्वालिटी कायम रखने के लिए ये जरूरी है कि उसमें आक्सीजन न जाए. जबकि ये स्ट्रिप इसी सिद्धांत पर तैयार की गई है, जैसे ही मिठाई में आक्सीजन की मात्रा पहुंचेगी, स्ट्रिप पर लगा सेंसर रंग बदल देगा.

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