नई दिल्ली.दिल्ली NCR के अधिकतम पशु चिकित्सालयों (Pet clinics) में जिनके पास पशु चिकित्सा से संबंधित किसी भी तरह की डिग्री नहीं, डिप्लोमा नहीं, वह लोग सारा इलाज कर रहे हैं, जिससे बेजुबानों (Animals) को बहुत सी यातनाएं झेलनी पड़ रही है. ये बात लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज नहीं बल्कि दिल्ली के डॉक्टर अजय कुमार का दावा है. डॉक्टर अजय कुूमार और उनकी टीम ने इसे लेकर करीब आठ महीने तक सर्वे कर अलग-अलग क्लीनिकों से सबूत इकट्ठे किए गए हैं. उन्होंने बताया है कि किस तरह से पशु चिकित्सा क्षेत्र में बेजुबानों (Dog, Cat, Rabbit , Birds and Other) के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
गलत इलाज पर सजा और जुर्माना दोनों
डॉक्टर अजय कुमार कहते हैं कि भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम 1984 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पशु चिकित्सा से संबंधित डिग्री,डिप्लोमा किए बिना पशु चिकित्सा का काम करता है तो वह व्यक्ति गैर कानूनी कार्य करने का दोषी होगा और उस पर जुर्माना होगा और करावास भी होगा.इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के पशु चिकित्सा से संबंधित दवाइयां बेचेगा तो वह भी दोषी होगा और उस पर जुर्माना होगा ओर कारावास होगा.
अनुभव नहीं डिग्री के आधार पर कराएं इलाज
सबसे पहले जब पेसेंट को अस्पताल ले जाया जाए तो यह ध्यान रखना चाहिए, केवल डॉक्टर से ही परामर्श लेकर इलाज करवाएं, क्योंकि जो व्यक्ति डॉक्टर नहीं है अगर वह सलाह देता है, इलाज करता है तो वह आपको गलत सलाह देगा और आपके पेट्स का गलत इलाज करेगा.कुछ लोग कहते हैं कि संबंधित आदमी को पांच-10 साल का अनुभव है लेकिन उसने चिकित्सा संबंधी पढ़ाई नहीं की तो वो बीमारी और दवाइयां के बारे में जानकारी नहीं रखता है.
पहले गूगल से पता करें बीमारी फिर जाएं डॉक्टर के पास
डॉक्टर अजय कुमार बताते हैं कि खुद भी इस चीज का पता कर सकते हैं आपके पेट्स को क्या बीमारी है. आप पहले ही उस बीमारी के बारे में गूगल से पढ़कर के जाएं, जब आप उनसे थोड़ा डिस्कशन करोगे तो आपको पता चल जाएगा कि इस व्यक्ति के पास पशु चिकित्सा से संबंधित कोई भी उपाधि है या नहीं क्योंकि जिसने पशु चिकित्सा से संबंधित पढ़ाई की होगी वह व्यक्ति आपके सवालों का जवाब दे देगा जिसने नहीं की वह व्यक्ति आपके सवलो का जवाब नहीं दे पाएगा.जहां पर भी आपको थोड़ा सा शक हो तो आप डायरेक्ट भी इलाज कर रहे व्यक्ति से उसकी डिग्री और डिप्लोमा के बारे में पूछ सकते हैं. ये आपका अधिकार है, जिसे वो इंकार नहीं कर सकता.
आनलाइन भी ले सकते हैं परामर्श
अगर आपके नजदीकी एरिया में डॉक्टर नहीं है तो ऑनलाइन बहुत सारे ऐप, वेबसाइट है जहां से एक्सपर्ट डॉक्टर से आप परामर्श कर सकते हैं.
नर्सिंग स्टॉफ भी हो डिप्लोमाधारी
जब डॉक्टर ने दवाई लिख दी है उसमें इंजेक्शन लगाना हो या ग्लूकोज चढ़ाना हो या फिर घाव की ड्रेसिंग हो तो जो व्यक्ति यह काम करेगा उसके पास भी पशु चिकित्सा से संबंधित उपाधि होना जरूरी होता है, क्योंकि जिस व्यक्ति के पास पशु चिकित्सा से संबंधित डिप्लोमा नहीं होगा, उस व्यक्ति को पता नहीं होता है कि यह सब कैसे अच्छी तरीके से किया जाएगा. वह व्यक्ति या तो स्वच्छता का ध्यान नहीं रखेगा जिससे बड़े-बड़े घाव बन जाते हैं और पेशेंट को लकवा ग्रस्त भी कर सकता है. जो बीमारी उसे पेशेंट को नहीं, दूसरे पेशेंट की बीमारी भी आपके पेशेंट में ट्रांसफर हो सकती है. यहां तक की पेशेंट को इलाज करने की बजाय उसको ओर ज्यादा बीमार कर देते हैं. डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि सब मैंने मेरे कार्य करने के दौरान अलग-अलग जगह पर देखा है.
दवा लेने में भी बरतें सावधानी
इसी प्रकार जब किसी भी किसी मेडिकल स्टोर से दवाई लेते हो तो डॉक्टर के परामर्श से ही ले चाहे डॉक्टर प्राइवेट हो या सरकारी. क्योंकि मेडिकल स्टोर पर जो दवाई दी जाती हैं उसमें हमने यह देखा है कि जो दवाई मानको को पूरा नहीं करती हैं और नई कंपनियों की दवाइयां आपको दे दी जाती हैं जिससे आपके पेशेंट पर हानिकारक प्रभाव होते हैं और आपके पेशेंट पर परीक्षण किए जाते हैं.
मेडिकल स्टोर द्वारा एक्सपायरी और एक्सपायरी के नजदीकी वाली दवाई भी दे दी जाती हैं और जो इंजेक्शन, वैक्सीन, दवाइयां अस्पताल में दी जाती हैं उनकी भी एक्सपायरी और एमआरपी देखनी चाहिए.
अपने पेट्स को अकेला न छोड़ें
जब भी आप अस्पताल जाओ तो आपके पेशेंट को कभी भी अकेला छोड़कर के नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. सभी लोग मिलकर के इस गैर कानूनी कार्य से चल रहे इलाज को रोकने के लिए, जब एक साथ विरोध करेंगे और इनके खिलाफ आवाज उठाएंगे तभी जाकर के इस गैर कानूनी इलाज को रोका जा सकता है.
कैसे हो रहा गलत इलाज
इंजेक्शन (injection) कहां पर लगाना है और इंजेक्शन लगाते समय स्वच्छता (Hygine) का कितना ध्यान रखना है, और इंजेक्शन मांशपेशियों (Muscle) या नाड़ी (Vein), तंत्रिका (Nerve), हड्डी (Bone) में लग रहा है या नहीं, उनको इस तरह की बातों का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं रहता है.
ड्रिप लगाना तक नहीं आती
इसी तरह से जब नाड़ी (Vein) में drip लगाते समय वह इतनी बार पंचर (Penetrate) करते हैं कि लगभग नाड़ी को काट देते हैं और जो हवा बटर फ्लाइ में होती है, उसको नहीं निकालते और आईवी सेट से हवा नहीं निकालते हैं जिससे पशु की जान भी जा सकती है.
ग्लूकोज चढ़ाने तक की जानकारी नहीं
डॉ अजय कुमार ने बताया कि मैंने खुद देखा है कि उनको यह तो बिल्कुल भी पता नहीं रहता है कि कितना ग्लूकोज (Fluids- DNS,RL,NS) चढ़ाना है, किस बीमारी में कौन सी ग्लूकोज देनी है, कौन सी नहीं देनी है. वह सिर्फ अंदाज से सबको एक ही तरह से इलाज करते हैं. वैक्सीन से संबंधित उनको कोई भी जानकारी नहीं रहती है इसलिए वैक्सीन ठंडी हो या गर्म हो या expiry हो वह लोग लगा देते हैं.
गलत इंजेक्शन से बन रही गांठें
इसी तरह से ऐसे लोग 3-4 अलग-अलग दवाइयां को एक ही इंजेक्शन में मिलाकर लगा देते हैं. उनको इन दवाओं के आपस में होने वाले रिएक्शंस का ही पता नहीं होता है और वह पशु में जाकर के रिएक्शन करती है, जिससे पशुओं में इंजेक्शन लगने वाली जगह पर गांठ बन जाती है एवं पशु के स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचाती हैं.
एक ही सिरिंज में कई दवा भर देते हैं
कुछ लोग 3-4 दवाइयां को मिलाकर के एक इंजेक्शन में रख लेंगे, जब उनको कहीं पर होम विजिट पर जाना होता है तो इसको वह कुछ घंटे के बाद या अगले दिन पशु को लगाएंगे, ये इंजेक्शन पशु को कितना नुकसान करेगा, इस बात से उनको कोई भी फर्क नहीं पड़ता है.
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