नई दिल्ली. तेलंगाना के पटनचेरू मंडल के चितकुल झील में बुधवार को एक बड़ी घटना हुई. यहां पाली जा रहीं करीब 10 टन मछलियों की मौत होने की बात सामने आई है. मछलियां मरकर झील पर उतरा गईं तो सभी को इसकी जानकारी हुई. मछुआरों ने इसकी जानकारी स्थानीय मत्स्य अधिकारियों को दी तो उन्होंने शुरुआती जांच की और कहा कि हो सकता है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों की मौत हुई हो, लेकिन स्पष्ट कारण जांच के बाद ही पता लग सकता है. वहीं एक साथ इतनी ज्यादा संख्या में मछली मर जाने की वजह से मछुआरों के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गई है.
मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पटनचेरु मंडल के चितकुल झील में पानी के प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में मछलियाँ मृत पाई गईं हैं. अधिकारियों ने तो ये नहीं बताया कि कितनी संख्या और वजन में मछलियों की मौत हुई है लेकिन स्थानीय मछुआरों ने दावा किया कि लगभग 10 टन मछलियाँ मर गईं हैं. मछुआरों का कहना है कि सरकार उनकी मदद करे. क्योंकि मछलियों की मौत होने से उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.
1.5 टन छोड़ी गई थी मछलियां
गौरतलब है कि मत्स्य विभाग ने 2023 में पिछले दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान झील में 1.5 लाख मछलियां छोड़ी थीं. बुधवार को जब मछलियों की मौत होने लगी तो मछुआरों की शिकायत के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों और मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने झील का दौरा किया था. इस दौरान प्रारंभिक जांच के बाद, पीसीबी के अधिकारियों ने पाया कि घुलित ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम था. जिससे मछलियों की मौत होने की संभावना अफसरों ने जताई है. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि वे लैब रिपोर्ट देखने के बाद ही सटीक कारण का पता लगा पाएंगे.
मछुआरों ने मांगी आर्थिक मदद
गौरतलब है कि इस घटना से मछुआरों के सामने परेशानी के बादल छा गए हैं. दरअसल, चितकुल गांव में इस झील पर 100 से अधिक मछुआरे परिवार निर्भर थे. उन मछुआरों की रोजी-रोटी इसी झील से मछली पकड़कर चलती है. वहीं इस घटना के बाद मछुआरों ने सरकार से उनकी आर्थिक मदद करने की मांग की है क्योंकि पानी के प्रदूषण के कारण उनकी आजीविका चली गई है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जब भी इस तरह से मछलियों की मौत होती है तो इसका पहला कारण प्रदूषण होता है. प्रदूषण के कारण तालाब में ऑक्सीजन बेहद ही कम हो जाता है. इस वजह से मछलियों की मौत होने लग जाती है.
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