नई दिल्ली. ऊंट पालकर कई फायदे उठाए जा सकते हैं. एक्स्पर्ट का कहना है कि ऊंट को कई उद्देश्य के लिए पाला जा सकता है. इनका इस्तेमाल कृषि, सिंचाई, माल ढोने, निर्माण, मनोरंजन, सवारी, और सफारी के लिए किया जाता है. जिससे इसके पालक अच्छी खासी इनकम हासिल करते हैं. इतना ही नहीं ऊंटों के बाल और खाल की व्यापक उपयोगिता होती है. इसके कारण पशुपालक इन्हें बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं. वहीं ऊंटनी का दूध स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं में फ़ायदेमंद होता है. जबकि ऊंटों के जरिए टिकाऊ कृषि की जा सकती है. इन उद्देश्यों से पता चलता है कि ऊंट पालना बेहद ही फायदेमंद सौदा है.
अगर आप भी ऊंट पालना चाहते हैं तो ये जान लें कि ऊंट को क्या खिलाया जाता है. ऊंट की किस तरह से चराई कराई जाती है आदि. इस आर्टिकल में हम आपको ऊंट से जुड़ी कुछ अहम जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके काफी काम आएगी.
पेड़ की पत्तियां खाना होता है पसंद
ऊंट की खासियत ये होती है कि ये जमीन पर चराई कम करते हैं. इनकी लंबी गर्दन और पैर होते हैं. जो इन्हें पेड़ों की पत्तियों और फलों को खाने में सक्षम बनाते हैं. जबकि ये सब चीजें अन्य पशुओं की पहुंच से बाहर होती हैं. उनके मुंह, सबसे कांटेदार पौधों को समायोजित कर सकते हैं. इसके मजबूत प्रीहेंसाइल होंठ और संकीर्ण थूथन होती है जो इसे कांटेदार पौधों को सेवन करने में सहायक रहते हैं. उन्हें दिन में कम-से-कम 6 घंटे चराई के लिए भेजना चाहिए होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ये जानवर लंबे समय तक के लिए जीवित रह सकता है. इसलिए पशुपालन में इसे पालना एक बेहतरीन विकल्प भी साबित हो सकता है.
चरते समय लंबा वक्त गुजारते हैं
चरते हुए वे आहार का उपभोग करने में लंबा समय व्यतीत करते हैं. यह धारणा सही है कि ऊंट पत्तों और काँटेदार पेड़ और झाड़ियाँ खाने में माहिर होते हैं. ऊंट शायद ही कभी अधिक चरते हैं, हालांकि वे प्रत्येक पौधे के छोटे हिस्से को लेते हुए आगे बढ़ते हैं और इस प्रकार से आगे बढ़ते हैं कि वे बड़े क्षेत्रों को कवर कर लें. ऊंट दिन या रात के किसी भी समय प्राकृतिक चरागाह में चर सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि जब ऊंट को अच्छी तरह से खिलाया जाता है, तो उसका कूबड़ सीधा रहता है. वहीं कई दिनों तक बिना भोजन या पानी के रहने की वजह से उसका कूबड़ सिकुड़ कर नीचे गिर जाता है.
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