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Dairy Animal News: बरसात में डेयरी फार्म में करें कुछ बदलाव, क्या करें, क्या नहीं जानें यहां

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.
चारा खाती एफएफ गाय.

नई दिल्ली. डेयरी फार्मिंग के लिए पाले जा रहे पशुओं की देखभाल में इस मौसम में लापरवाही नहीं करनी चाहिए. अगर लापरवाही हुई तो फिर डेयरी फार्मिंग के काम में नुकसान हो जाएगा. डेयरी फार्म में पशुओं की सेफ्टी के लिए उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए. जबकि कुछ काम नहीं करनरा चाहिए, जिससे पशुओं को बीमारियों से बचाया जा सकता है और ज्यादा दूध उत्पादन
लिया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर पशुओं के बीमार होने पर पशुओं का उत्पादन कम हो जाता है और नुकसान होने लग जाता है.

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि बारिश के मौसम में डेयरी फार्म में क्या बदलाव करना है और क्या नहीं करना है, जिससे पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सके. बता दें कि पशुपालन सूचना एवं प्रसार कार्यालय, पशुपालन निदेशालय, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा जनहित में प्रचारितआइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल के लिए सुझाव

क्या करें, पढ़ें यहां
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि बरसात के पहले पशुओं की डेयरी फार्म की छत की मरम्मत कर दें, जिससे बारिश का पानी न टपके.

डेयरी फार्म की खिड़कियों खुली रखें और गर्मी व उमस से बचने के लिये पंखों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

डेयरी फार्म में पशुओं के मल-मूत्र की निकासी का भी उचित प्रबंधन करें. डेयरी फार्म को दिन में एक बार फिनाईल के घोल से अवश्य साफ करें जिससे बीमारी फैलाने वाले बैक्टिरिया कम हो सके.

डेयरी फार्म में शुद्ध ताजा पानी पीने की व्यवस्था करें एवं चारा एवं पानी की व्यवस्था पशुशाला के नजदीक ही रखें.

जो पशु कर गए हैं, उन पशुओं के निस्तारण की व्यवस्था नदी, तालाब आदि से दूर रखें.

नियमित अन्तराल पर कीटनाशक का भी छिड़काव करें.

कोशिश करें कि पशु को बाल्टी से साफ एवं ताजा पानी पिलाएं.

बरसात आने से पहले पशुओं को विभिन्न संक्रामक रोगों के विरूद्ध टीकाकरण करवा दें.

क्या न करें, पढ़ें यहां
पशुधर में आवश्यकता से अधिक पशुओं को एकत्रित न करें.

बारिश के दौरान पशुओं को बहर न निकालें.

पानी को एक जगह पर एकत्रित नहीं होने दें जिससे माछाड़ का प्रकोप न हो एवं परजीवी संक्रमण को रोका जा सकें.

पानी की जगह और चारागाह के रास्ते में पशुओं को न दफनाएं.

तालाबों एवं जलाशयों में पशुओं को न ले जाएं.

पशुओं को बिजली के खंभे से न बांधे और बिजली उपकरणों से दूर रखें.

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