नई दिल्ली. बकरी पालन एक फायदे का सौदा है. भारत में बकरी पालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. आजकल ग्रामीण ही नहीं शहरी इलाकों में इसका चलन बढ़ गया है. बकरी पालन में बच्चों और बकरियों की देखरेख से अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. एक बकरी अपने दूध के साथ ही करीब 14 महीने में अच्छे बच्चे देती है. इन बच्चों से आप अपनी इनकम में ग्रोथ कर सकते हैं. आज हम आपको असम की एक ऐसी नस्ल के बारे में बता रहे हैं जो असम में बेहद फेमस है.
आमतौर पर बकरे और बकरियों का पालन दूध-मीट के लिए ही किसान करते हैं. हालांकि बकरी पालन करने वालों को ये पता होना चाहिए कि वो बकरी का पालन दूध के लिए करना चाहते है या फिर मीट के लिए. यह क्षेत्र के हिसाब से भी तय होता है और बकरी की नस्ल के मुताबिक भी. एक्सपर्ट बताते हैं कि देश में बकरे और बकरियों की 37 रजिस्टर्ड नस्ल है. हर नस्ल को उसके होम टाउन के हिसाब से पाला जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक ब्लैक बंगाल को पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और असम में पाला जाता है. बाकी की जगह पर यह नस्ल अपने को मौसम के अनुसार नहीं ढाल पाती है. वहीं असम की नस्ल है पहाड़ी बकरी.
ये है असम पहाड़ी बकरी की विशेषताएं: असम पहाड़ी बकरी, असम के डिमहासाओ, कार्बी आंगलोंग, कछार, धेमाजी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, मोरीगांव और नागांव जिले पूर्वी खासी हिल्स, पश्चिमी खासी हिल्स, पूर्वी जैंतिया हिल्स, पश्चिमी जैंतिया हिल्स, पूर्वी गारो हिल्स, पश्चिमी गारो हिल्स, मेघालय के री-भोई जिले में पाई जाती है. सफेद कोट का रंग होता है. नर में चेहरे, गर्दन और पिछले पैरों पर लंबे बालों का गुच्छा होता है. इस नस्ल की बकरी का चेहरा छोटा व पतला होता है. इसके कान क्षैतिज होते हैं. इसके छोटे सीधे सींग होते हैं और पैर बेहद मजबूत होते हैं.
ऐसे कर सकते हैं बकरी पालन: जब आप 100 बकरी और पांच बकरे पालते हैं तो एक साल में फार्म तैयार हो जाएगा. जबकि आपकी बकरियां मुनाफा देने लायक हो जाएंगी. इस प्लान के हिसाब से औसत एक बकरी पर सात से आठ हजार रुपये की बचत आपको हो सकती है. इस सब के बीच बकरियों के वैक्सीन और उनकी हेल्थ के बारे में जांच जरूरी है. हेल्थ में एक साल में एक बकरी पर 100 से 120 रुपये खर्चा आता है, लेकिन इसे फॉलो करने से बकरियों की मृत्यु दर ना के बराबर रह जाएगी.
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