नई दिल्ली. अगर आपकी मुर्गियों को ज्यादा भूख लग रही है. उसे ज्यादा प्यास लगग रही है तो हो सकता है कि वो बीमार हो गई है. जी हां, आपने सही पढ़ा. क्योंकि कोक्सीडियोसिस नाम की बीमारी में ऐसा ही होता है. गंभीर बात ये है कि ये बीमारी ज्यादातर चूजों में होती है. इसलिए पोल्ट्री फार्मिंग के काम में नुकसान हो जाता है. राजस्थान के पशुपालन विभाग Department of Animal Husbandry, Rajasthan के मुताबिक कोक्सीडियोसिस एक प्रोटोजोआ से होने वावला रोग है, जिसके कारण चूजों में अधिक मृत्यु दर तथा पठोरों में देरी से अंडा देने की अवस्था तथा व्यस्क मुर्गियों में अंडा देने की क्षमता में कमी आती है.
बता दें कि कोक्सीडियोसिस नाम की बीमारी नौ तरह की होती है, जिनमें से दो प्रकार ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली है. इसलिए इसके बारे में हम यहां आपको जानकारी देने जा रहे हैं.
सीकल कोक्सीडियोसिस क्या है
सीकल कोक्सीडियोसिस यह रोग 2-4 सप्ताह की उम्र के चूजों को अधिक होता है.
इसका कारण आइमेरिया टेनेला नाम प्रोटोजोआ है. इसके लक्षण में ज्यादा भूख लगना, प्यास की अधिकता, ऊघना शामिल है.
इसकेे अलावा चूजों में खूनी दस्त तथा सीकम खून से भरा होता है. जबकि उनमें मृत्यु दर ज्यादा होती है.
आंतों की कॉक्सीडियोसिस क्या होती है
आंतों की कॉक्सीडियोसिस यह रोग 4 से 10 सप्ताह वाले चूजों को होता है, लेकिन सभी उम्र की मुर्गियों में यह हो सकता है.
इसके कारण की बात करें तो इस रोग का कारण आइमेरिया नेकट्रक्स प्रोटोजोआ है.
प्रभावित चूजों को अधिक प्यास लगती है. भूख में कमी हो जाती है. आंखें बंद करके ऊंघना शुरू कर देते हैं. पीला या खूनी दस्त होने लगता है.
बीट करने में तकलीफ होती है. चूजे कमजोर हो जाते हैं. मर चुके पक्षी की आंत में खूनी धब्बे पाये जाते हैं. कमजोरी तथा पैर खराब हो जाते हैं.
रोकथाम का क्या है तरीका
डीप लीटर पद्धति से बिछावन को हमेशा ही सूखा रखें. यदि बिछावन गीला हो जाये तो उसे तुरन्त हटा दें.
बिछावन को सप्ताह में दो बार अवश्य पलटी देवें। बाह्य परजीवियों को नियंत्रित स्खें.
कॉक्सीडिओसिस रोग की जानकारी मिलने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह से उपचार करें.
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