नई दिल्ली. सीजन में सबसे ज्यादा सर्दी दिसंबर-जनवरी के महीने में ही पड़ती है. इसी महीने में भेड़-बकरी के बच्चे सबसे ज्यादा बीमार होते हैं. अब इन बच्चों को इस सर्दी में बीमार होने से कैसे बचाए इसके लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) ने ऐसा खास शेड तैयार किया है, जो न बच्चों को निमोनिया होने से बचाएगा बल्कि आर्थिक नुकसान भी नहीं होने देगा. तो चलिए जानते हैं वो खास शेड जिसके बारे में पशुपालक को जानना बेहद जरूरी है.
भेड़-बकरी पालन मुनाफाबख्श व्यपार है. अगर वैज्ञानिक तरीके से इस व्यापार को किया जाए तो इससे ज्यादा इनकम और किसी भी व्यापार में नहीं होती और लापरवाही कर दी तो नुकसान भी बहुत होता है. इसमें सबसे नुकसान तब होता है जब भेड़-बकरी के बच्चे बीमार होकर मर जाते हैं. इसलिए इस पर नियंत्रण कर लिया तो व्यापार बड़े ही शानदार तरीके से हो सकता है. इसलिए बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए खास इंतजाम करने चाहिए. बच्चों को कड़ाके की सर्दी यानी दिसंबर-जनवरी की सर्दी ठंड से बचाना बेहद जरूरी है. इन बच्चों को निमोनिया जैसी घातक बीमारी से बचाने के लिए मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के वैज्ञानिकों ने नई खोज के बाद कड़ाके की ठंड में भी भेड़-बकरी के बच्चों को निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए खास तरीके से एक शेड तैयार किया है, जो न केवल बीमारी से बचाएगा बल्कि मृत्यु दर को भी कम करेगा.
बनाने में महज 60-70 हजार रुपये का खर्चा आता है.
मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के वैज्ञानिकों ने नई खोज के बाद बेहद कम लागत पर इसे तैयार किया है, जिसे पुश पालक आसानी से तैयार कर सकते हैं. ये शेड दो काम करता है, सर्दी में बच्चों को ठंड से बचाता है तो गीले और बहुत ज्यादा नमी वाले हरे चारे को सुखाने के काम भी आता है. इस शेड में करीब 40 बच्चों को एक साथ रखा जा सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो इस बनाने में महज 60-70 हजार रुपये का खर्चा आता है. इसकी कीमत को लोहे की जाली की जगह लकड़ी का इस्तेमाल करके और भी कम किया जा सकता है.
सबसे बड़ा मुनाफा बकरी के दिए गए बच्चें ही होते हैं
बकरी पालक राशिद बताते हैं कि इस कारोबार में सबसे बड़ा मुनाफा बकरी के दिए गए बच्चें ही होते हैं. अगर आप बाजार में बकरी का बच्चा खरीदने जाते हैं तो शुरुआती दिनों का बच्चा 3500 से 5000 हजार रुपये तक का मिलेगा. लेकिन मुत्युर दर पर कंट्रोल करने के बाद यही बचत आगे चलकर बड़े मुनाफे में बदलती है.
क्या है इस खास शेड में जो बचाता है बीमार होने से
मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी. राय ने बताया कि बकरी पालन में बच्चों की मृत्य दर कम करने और उन्हें ठंड से बचाने के लिए सोलर ड्रायर विंटर प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार किया है. ये दो तरह से कार्य करता है. एक तो ये बच्चों को निमोनिया से बचाने में मददगार होता है तो गर्मी के मौसम में भेड़-बकरी के बच्चों को गर्मी से बचाता है. ट्रॉयल के तौर पर सीआईआरजी में इस सिस्टम को लोहे की जाली के ऊपर बनाया है. जाली के पीछे प्लास्टिक की शीट्स लगाई गई हैं. इसके पीछे कुशन के पैनल लगाए जाते हैं. इस तरह बाहर की ठंडी हवा अंदर शेड में नहीं आती है. अंदर और गर्मी पैदा करने के लिए कुछ ज्यादा वॉट्स की लाइट लगाई जाती हैं. ऐसा सब करने से शेड के अंदर घुटन न हो इसके लिए एक एग्जॉास्ट फैन लगा दिया गया है. शेड में बिजली की सप्लाई बराबर बनी रहे इसके लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा करने से बच्चे बाहर के ठंडे मौसम से बच जाते हैं.
सूखे चारे की कमी भी दूर होगी सोलर शेड से
सीनियर साइंटिस्ट डॉ. बी. राय ने बताया कि ये शेड सर्दी के लिए चारे का इंतजाम भी करता है. जैसे बरसात के मौसम में हरा चारा बहुत होता है. लेकिन उसके अंदर नमी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए उसे साइलेज या हे बनाकर नहीं रखा जा सकता है और सुखाने की बात करें तो बरसात में हरे चारे को सुखाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. इसलिए इस खास सोलर ड्रॉयर का इस्तेमाल बरसात के मौसम में हरा चारा सुखाने में भी किया जा सकता है. जैसे ही सर्दी शुरू हो तो बकरियों को सूखा हुआ चारा खिलाने के साथ ही बच्चों को रखने के लिए सूखी घास की तरह से जमीन पर बिछाया भी जा सकता है.
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