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Milk Production: अगली ब्यात में भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए ये काम जरूर करें पशुपालक

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन करने के दौरान पशुओं की बेहतर तरीके से देखभाल करना बेहद ही जरूरी होती है. गर्भावस्था के दौरान ध्यान देने वाली बातों पर गौर न किया जाए तो इससे पशुओं को दिक्कत हो सकती है. वहीं दूध उत्पादन पर भी इसका बेहद ही बुरा असर पड़ता है. हो सकता है कि पशु अपनी क्षमता के मुताबिक कम दूध का उत्पादन करे. इसलिए जरूरी है कि उनकी देखभाल में कोई कमी न छोड़ी जाए. एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली कहते हैं कि भैंस अगर दूध दे रही हो तो ब्याने के 2 महीने पहले उसका दूध सुखा देना जरूरी होता है. ऐसा न करने पर अगली बार तक उत्पादन काफी घट जाता है.

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भैंस को ट्रेन और ट्रक से कहीं नहीं ले जाना चाहिए. इसके अलावा उसे लंबी दूरी तक पैदल भी चलना मुफीद नहीं होता है. भैंस को ऊंची नीची जगह पर गहरे तालाब में नहीं ले जाना चाहिए. ऐसा करने से बच्चेदानी में बल पड़ सकता है, लेकिन इस अवस्था में प्रतिदिन हल्का व्यायाम भैंस के लिए फायदेमंद होता है. गाभिन भैंस को ऐसी भैंस से दूर रखना चाहिए जिसका गर्भपात हो चुका हो.

गर्भावस्था के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
डॉ. इब्ने अली के मुताबिक भैंस गर्भधारण की तारीख से ब्याने की अनुमानित तारीख तक घर के कैलेंडर या डायरी में इसे लिख लेना चाहिए. भैंस की गर्भावस्था 310 दिनों की अवधि की होती है. इससे किसान भाई पशु के ब्याने के समय से पहले चौकन्ने हो जाएं. 42 से दोबारा दौरान पशु का पूरा ध्यान रखें कोशिश करें कि ग्रामीण भैंस को आठवें महीने के बाद अन्य पशुओं से अलग रखें. भैंस का बाड़ा उबड़-खाबड़ न हो. बाड़ा ऐसा होना चाहिए जो वातावरण की खराब परिस्थितियों जैसे ज्यादा ठंड, ज्यादा गर्मी और ज्यादा बरसात से भैंस को बचा सके. कोशिश करें कि बाड़े में सीलन न हो और साफ पानी की व्यवस्था होना जरूरी है.

ये वैक्सीन लगवाना होता है बेहद जरूरी
गाभिन भैंस को उचित मात्रा में सूरज की रोशनी देना चाहिए. सूरज की रोशनी से भैंस के शरीर में विटामिन डी 3 बनता है, जो कैल्शियम के स्टोरेज में मददगार होता है. जैसे पशु को ब्याने के बाद दुग्ध ज्वर से भी बचाया जा सकता है. डॉक्टरी इब्ने अली का कहना है कि गर्भावस्था के अंतिम माह में पशु चिकित्सक द्वारा लगाए जाने वाले विटामिन ई सेलेनियम की वैक्सीन के बाद होने वाली कठिनाइयां जैसे की जेर गिरना आदि में मददगार होती है. कुछ किसान भैंस को कैल्शियम की दवा पिलाते हैं जो की काफी महंगी पड़ती है. इसकी जगह पानी के साथ 5 से 10 ग्राम चूना मिलाकर दिया जा सकता है.

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