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Fisheries: मछलियों को ठंडे पानी में पालकर मछली किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई, यहां पढ़ें डिटेल

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तालाब में मछली.

नई दिल्ली. मछलियों को ठंडे पानी में पालकर अच्छी कमाई की जा सकती है. हालांकि ये बड़ा सवाल है कि देश ठंडे इलाकों में भी मछली पालन करके किसान कमाई कर सकते हैं या नहीं? इसका जवाब है हां. जिन इलाकों में बर्फबारी होती है, जैसे कश्मीर वगैरह में भी मछली पालन को किसान अपनी आय का जरिया बना सकते हैं और इससे मोटी कमाई कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि इन परिस्थितियों में खुद को ढाल लेने वाली मछलियों का पालन किया जाए, तभी अपेक्षित फायदा मिलेगा, नहीं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि ठंडे पानी की मछलियों का मतलब है कि 10 से 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में पल जाएं. पहाड़ों की ऊंचाई पर ऊपर की ओर का पानी और समशीतोष्ण (Moderate) क्षेत्रों में कम ऊंचाई पर झरने का पानी बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत ठंडा रहता है और इन क्षेत्रों में ठंडे पानी की मछलियां पनपती हैं. हिमालय क्षेत्र और प्रायद्वीपीय (Peninsular) भारत के दक्कन पठारी क्षेत्र में कई पहाड़ी धाराओं, रैपिड्स, तालाबों, झीलों और जलाशयों ऐसे पानी ज्यादा पाए जाते हैं. ये वाटर सोर्स या तो बर्फ के पिघलने, उत्तर की तरह झरनों द्वारा या दक्कन के पठार की तरह बारिश के पानी की वजह से बनते हैं.

इस प्रजाति की मछली को किया गया प्लांट
हाल के वर्षों के दौरान, भारत में ठंडे पानी में मछली पालन के विकास के लिए काम हुए हैं और इससे उत्पादन भी बढ़ा है. हालांकि अभी भी कुल अंतर्देशीय उत्पादन की तुलना में ठंडे पानी में मछली उत्पादन बिल्कुल न के बराबर है ललेकिन पिछले कुछ समय से इसके बढ़ने से इस सेक्टर की उम्मीदें जगी हैं. कश्मीर में स्थापित ट्राउट हैचरी उन संभावित सोर्स में से एक है जहां से ब्राउन ट्राउट मछली को जम्मू, कश्मीर, कुल्लू, शिमला, कांगड़ा, नैनीताल, शिलांग और अरुणाचल के ऊपरी पानी सोर्स में प्लांट किया गया है. जिसमें नीलगिरी और केरल में निर्मित अन्य हैचरियां भी शामिल हैं.

स्वदेशी ठंडे पानी की मछलियां
महासीर, स्नो ट्राउट और इंडियन हिल ट्राउट भारत के पहाड़ी जल में रहने वाली प्रमुख ठंडे पानी की स्वदेशी मछली प्रजातियां हैं. महासीर मछली ठंडे पानी में पायी जाती है. यह हिमालय की प्रमुख मछलियों में से एक है. अगर इसकी बात की जाए तो इसे ‘हिमालय का गौरव’ भी कहा जाता है. यह भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे लोकप्रिय मीठे और ठंडे पानी की मछलियों में से एक है. इसे मछलियों में बाघ भी कहा जाता है. यह ताजे पानी की खेल मछलियों में सबसे मज़बूत मानी जाती है. वहीं स्नो ट्राउट को 17-21 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले पानी में पाला जा सकता है.

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